स्त्री विमर्श एक सही सोच कमल कुमार 1 February, 2016 इस समय समाज के बीच स्त्रियों की स्थिति और परिस्थितियाँ जैसे बदली हैं और बदल रही है उनमें ‘स्त्री दृष्टि’ और स्त्री सोच का परिदृश्य बदलना चाहिए था। नई पीढ़ी की युवतियाँ, शिक्षित, प्रशिक्षित और प्रोफेशनल हैं। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/stri-vimarsh/hindi-article-on-stree-vimarsh-ek-sahi-soch-by-kamal-kumar/ कॉपी करें
स्त्रियाँ भी लिखें पुरुषों की कथा बलराम 1 February, 2015 यह एक संयोग ही रहा होगा कि जिन दो अनूदित किताबों को एक साथ पढ़ा, उनके लेखक फोर्ड फाउंडेशन की अनुदान राशि को स्वीकारने-अस्वीकारने के विवाद को लेकर चर्चा में रहे, खासकर महाश्वेता देवी। इससे भारतीय मनीषा की एक विशेषता उजागर हुई है कि नोबेल पुरस्कार को सार्त्र यदि आलू की बोरी कहकर ठुकरा सकते हैं तो दलित-शोषित आदिवासियों की जिंदगी को अपनी कलम का आधार बनाने वाली कथाकार महाश्वेता देवी भी फोर्ड फाउंडेशन के अनुदान प्रस्ताव को उससे बेहतर कारण देकर ठुकरा सकती हैं : ‘जो धन मैंने उपार्जित नहीं किया, उस पर मेरा कोई अधिकार नहीं। और पढ़ें शेयर करे close https://nayidhara.in/stri-vimarsh/striyan-bhi-likhein-purushon-ki-katha/ कॉपी करें