भारतीय साहित्य और वाचिक परंपरा

प्राचीन भारतीय साहित्य का बहु भाग बोलचाल के शब्दों का व्यक्त रूप है। संरक्षण की दृष्टि से वह वाचिक परंपरा की संपत्ति है। वेदों का संरक्षण एक अक्षर की भी क्षति हुए बिना युगों से वाचन (पाठ की) कठिन व जटिल व्यवस्था द्वारा किया गया। भारतीय इतिहास में लेखन का परिचय विदेशियों के प्रभाव से बाद में हुआ।