ममता को दर्शाती कहानियाँ

ममता को दर्शाती कहानियाँ

डॉ. निरूपमा राय की 17 कहानियों का संग्रह ‘प्रतिरूप तुम्हारा’ माँ के अलग-अलग ममतामयी रूपों से ओतप्रोत है। अत्यंत भावना प्रधान कहानियाँ पाठकों को अपने साथ बहाने की क्षमता रखती हैं। कहानियाँ पढ़ते हुए पाठक भी गहरी संवेदनाओं के सागर में डूबता-उतराता रहता है और माँ की ममता को हृदय से महसूस करता है।

संग्रह की प्रथम कहानी, ‘प्रतिरूप तुम्हारा’ से ही पूरे संग्रह की कहानियों का गहरा मार्मिक भाव व निरूपमा जी की सशक्त लेखनी का दर्शन पाठकों को हो जाता है। प्रस्तुत कहानी में एक 12 वर्षीया लड़की अपनी माँ के, स्लिप डिस्क के कारण बिस्तर पर आ जाने से, इस तरह से उसकी देखभाल करती है कि उसकी माँ को अपनी बेटी, अपनी माँ का प्रतिरूप दिखाई देने लगती है। दरअसल ममता व सेवाभाव, नारी का विशिष्ट गुण है, फिर चाहे वह 12 वर्ष की ही क्यों न हो…पर जरूरत पड़ने पर वह अपनी माँ की भी एक माँ की ही तरह देखभाल व सेवा कर सकती है। अपनी माँ का आह्वान करते हुए जिस तरह से लेखिका ने, माँ के शब्दों में अपनी बेटी के ममतामयी रूप का अपनी माँ के रूप से तुलना की है, वह पढ़ते हुए बरबस ही नेत्र सजल कर देता है।

‘उत्तर दो माँ’ एक 22 वर्षीय विकलांग युवती की व्यथा है, जिसे उसकी माँ पैदा होते ही उसी के पिता के हाथों, मरने से बचाने के लिए, अपनी माँ यानी बच्ची की नानी के पास छोड़ आती है और फिर मिलने तक नहीं जाती। बड़ी होती उस विकलांग बच्ची की अंतर्व्यथा, उसके द्वारा अपनी माँ को लिखे पत्र के माध्यम से जिस तरह व जिन भावपूर्ण शब्दों में लेखिका ने छलकाई है वह पढ़ते समय हृदय को अंदर तक भर देता है।

संग्रह की प्रत्येक कहानी कभी माँ की ममता में नहला देती है तो कभी संतान का माँ के प्रति वात्सल्य के सैकड़ों दरवाजे खोल देती है। ऐसी ही एक कहानी है, ‘माँ तुम कैसी हो’, इस कहानी की नायिका भावना, जिसकी माँ प्रेम विवाह के कारण अपने मायके से विलग हो गई थी और अपनी पहली संतान भावना के जन्म के समय मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। उसकी एक तस्वीर तक घर में नहीं है। भावना जिंदगी भर अपनी माँ की सूरत देखने के लिए तड़प जाती है…वह अपनी ननिहाल जाना चाहती है…अंत में उसकी इच्छा पूरी होती है और वह अपनी मौसी के परिवार से मिल पाती है व अपनी माँ की तस्वीर देखने की उसकी अदम्य लालसा भी पूरी हो पाती है। कहानी में अनदेखी माँ की तस्वीर देखने की बेटी की लालसा को लेखिका ने इतने सुंदर शब्दों में उकेरा है कि पाठक भावना की तड़प को अनायास ही अपने अंदर महसूस करने लगते हैं।

निरूपमा राय की कहानियाँ पाठकों को आँखों में आँसू लिए भावनाओं में बहने के लिए मजबूर कर देती हैं। ‘मात्र देवो भवच्’ को चरितार्थ कर माँ का बेटे से नेह बंधन जोड़ती बहू की कहानी ‘नेहबंध’ पढ़ते हुए हृदय भाव-विभोर हो जाता है। विधवा सास जो असमय विधवा हो जाने के कारण परिवार में उपेक्षित है, हमेशा अभागी होने का दंश सहती रहती है। यहाँ तक कि उसका इकलौता बेटा भी उससे दूर रखकर पाला जाता है और माँ का मातृत्व बेटे पर न्यौछावर होने के लिए तरसता रह जाता है। कहानी के अंत में उस माँ की अधूरी ममता की प्यास उसकी बहू ही बुझा पाती है उसके बेटे के हृदय में अपनी माँ के लिए स्नेह जगा कर, माँ को उसका बेटा लौटा कर।

कहानी ‘यादें’ तो अपनी मार्मिक कथावस्तु के कारण पाठकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ती है। लंदन में रहने वाली बेटी जब लंबे समय बाद, माँ की मृत्यु पर भारत आती है। घर वही है, लोग वही हैं…पर न जाने माँ के बाद क्या पराया हो गया…कि उसे पहले का सा अपनेपन का अहसास नहीं हो पाता। वह घर के हर कोने, हर दीवार, हर पुरानी वस्तु में माँ का स्पर्श ढूँढ़ती है…अपना नाम जो उसने विद्यार्थी जीवन में हर जगह गोद दिया था, उन जड़ वस्तुओं में…छत के एक कोने में…पर क्या इन जड़ वस्तुओं के कारण कुछ अपना हो जाता है। माँ भी बिना कुछ साथ लिए चली गई। कहानी के अंत में वह मायके से वापस लौटते हुए भाई द्वारा स्वर्णाभूषण ठुकरा कर, कुछ पुरानी धुँधलाती वस्तुओं में माँ के साथ की स्मृतियों को सहेज कर लौट जाती है…।

प्रस्तुत संग्रह की सभी कहानियाँ ‘माँ’ के विभिन्न रूपों को दर्शाती, बहुत मार्मिक व भावना प्रधान कहानियाँ हैं। जिन्हें बेवजह का विस्तार न देकर कम-से-कम शब्दों में माँ के विराट स्वरूप को इतनी खूबसूरती से समेटा हुआ है कि लेखिका की कलम की ताकत व बेशुमार मार्मिक शब्दावली के भंडार का सहज ही पता हो जाता है। सत्रह कहानियों का उनका यह कहानी संगह ‘प्रतिरूप तुम्हारा’ प्रत्येक पाठक को पसंद आने वाला संग्रह है।


Image : Mother s Goodnight Kiss
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Artist : Mary Cassatt
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सुधा जुगरान द्वारा भी