कोशकार अरविंद कुमार
- 1 April, 2015
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- 1 April, 2015
कोशकार अरविंद कुमार
शब्द साक्षी है
शब्दकोश का संपादन सही मायने में एक प्रकार का आजीवन कारावास है। इतिहास गवाह है कि इसके संपादन में बरसों बीत जाते हैं। अँग्रेजी के ‘बेब्स्टर न्यू इंटरनेशनल डिक्शनरी’ के प्रथम संस्करण के प्रकाशन में एक सौ दो बरस का समय लगा था। ‘ऑक्सफोड डिक्शनरी’ भी इसका अपवाद नहीं है। कोई छिहत्तर बरसों में ‘ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी’ तैयार हुई थी। इसके निर्माण में चार पीढ़ियों का योगदान रहा है। आप सोच सकते हैं कि जब कोई कोशकार अकेला किसी कोश का संपादन कर रहा होता है, तब उसके जीवन के कितने बरस इसमें बीत जाते होंगे। मिसाल के तौर पर रॉल्फ लिले टर्नर को लिया जा सकता है। उनका ‘नेपाली कोश’ कोई पैंतीस बरसों के अरवरत श्रम का परिणाम था।
रॉल्फ लिले टर्नर ने तो ‘नेपाली कोश’ के संपादन में सिर्फ एक बार आजीवन कारावास की सजा भोगी है। किंतु हिंदी के ख्यात कोशकार अरविंद कुमार ने कई-कई कोशों के संपादन में कई-कई बार आजीवन कारावास की सजा भोगी है। हिंदी के प्रथम समांतर कोश से लेकर शब्दकेश्वरी और पेंगुइन इंग्लिश-हिंदी/हिंदी-इंग्लिश थिसारस एंड डिक्शनरी जैसे कोशों की रचना में उनके जीवन के कई बरस बीत गए। आज वे पचासी साल के हो गए हैं। विश्व के सात आश्चर्यजनकों के बारे में तो सुना है, यदि विश्व में कोई आठवाँ आश्चर्यजनक है तो वे अरविंद कुमार हैं।
अरविंद कुमार से मेरी पहली मुकालात आगरा में हुई। संसार के सात आश्चर्यजनकों में से एक ताजमहल आगरा में है। संयोग कि इस आठवें आश्चर्यजनक को भी मैंने पहली बार आगरा में ही देखा। आगरा का केंद्रीय हिंदी संस्थान इसका गवाह बना। सुना है कि आगरा का ताजमहल कोई बाईस बरसों में तैयार हुआ था। पर अरविंद कुमार का प्रथम समांतर कोश के निर्माण में बाईस बरसों से भी अधिक समय लगा था। यह भी सुना है कि ताजमहल के निर्माण में हजारों शिल्पकार, कारीगर और संगतराश लगे थे। पर अरविंद कुमार ने तो अपने शब्दकोशों के निर्माण में सिर्फ अपनी पत्नी कुसुम कुमार का योगदान लिया है। इसीलिए मुझे अरविंद कुमार का विशाल शब्द-भंडार का संकलन-संपादन विश्व के आठवाँ अजूबा जैसा लगता है।
अरविंद कुमार कुशल संपादक और कोशकार हैं। अँग्रेजी, हिंदी और उसकी अनेक लोक बोलियों पर इनकी बराबर पकड़ है। शायद इसीलिए केंद्रीय हिंदी संस्थान ने इन्हें हिंदी परिवार की 49 भाषाओं के शब्दकोश-निर्माण का प्रधान संपादक नियुक्त किया था। हिंदी लोकशब्द कोश परियोजना में मैं भोजपुरी का संपादक था। मुझे याद है कि जब मैं किसी भोजपुरी शब्द पर उनसे चर्चा करता था, तब अरविंद कुमार हिंदी की विभिन्न बोलियों के शब्दों की ऐसी झड़ी लगा देते थे मानो मशीनगन से गोलियाँ छूट रही हों। मुझे विश्वास ही नहीं होता था कि इतनी सलोनी छरहरी काया में इतनी विशाल शब्द-संपदा कैद है। एक दिन अरविंद कुमार की तबीयत थोड़ी बिगड़ी हुई थी। मैं भी उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित था। पर ज्यों ही मैंने कोश वैज्ञानिक मसलों को उनके समक्ष उठाया तो वे फौरन रोगमुक्त हो गए। उनका उदास चेहरा ऐसा खिल उठा मानो भारत का पाणिनि फिर से इक्कीसवीं सदी में जीवित हो गए हों। अरविंद कुमार की दिलचस्पी कोश विज्ञान के क्षेत्र में देखते ही बनती है।
ख्यात कोशकार अरविंद कुमार ने हिंदी शब्दकोश को समृद्ध किया है। इसके पाट को और चौड़ा किया है। जैसा कि हम जानते हैं कि हिंदी शब्दकोश अँग्रेजी की तरह प्रगतिशील नहीं है। कारण कि आचार्यगण विदेशी नस्ल के शब्दों को लेने में परहेज करते हैं। इतना ही नहीं, वे लोकबोलियों के शब्दों को भी घृणा भाव से देखते हैं। वे मानते हैं कि विदेशी और ग्रामीण शब्दों को लेने से हिंदी का शब्दकोश धर्मभ्रष्ट हो जाएगा। यही कारण है कि आधुनिक हिंदी के प्रथम शब्दकोश में कुल शब्दों की संख्या बीस हजार थी, वह अभी तक दो लाख तक ही पहुँची है। उधर अँग्रेजी के प्रथम शब्दकोश में कुल शब्दों की संख्या सिर्फ दस हजार थी, वह छह लाख से भी आगे जा चुकी है। कारण कि अँग्रेजी शब्दकोश देशी-विदेशी विभिन्न स्रोतों से शब्द ग्रहण करता रहा है, जबकि छुआछूत के देश भारत में देशी-विदेशी स्रोतों के शब्दों को अछूत समझे जाने की प्रवृत्ति है।
अरविंद कुमार के कोशकर्म ने भारत की पारंपरिक कोश प्रणाली के छूतवादी मिथकों को तोड़ा है। उनके कोश में विभिन्न क्षेत्रों की शब्दावलियाँ दर्ज हैं। कारण कि बदलते समाज, साहित्य और संस्कृति की चुनौतियों का सामना सीमित शब्द-भंडार के जंग लगे औजारों से संभव नहीं है। उनके ‘वृहत समांतर कोश’ में 988 शीर्षकों के अंतर्गत 25,562 उपशीर्षकों में 2,90,477 अभिव्यक्तियाँ हैं। उनका ‘द पेंगुइन इंग्लिश-हिंदी/हिंदी-इंग्लिश थिसारस इंड डिक्शनरी’ खंडों में प्रकाशित और तीन हजार से भी अधिक पन्नों में फैला हुआ है। यह संसार का विशालतम थिसारस हैं अरविंद कुमार का आठवाँ शब्दकोश है–‘अरविंद वर्ड पावर इंग्लिश-हिंदी’। अरविंद कुमार के कोशों का स्रोत है–‘अरविंद लेक्सिकन’ इसमें 10,12,754 अभिव्यक्तियों वाला डाटाबेस है। जाहिर है कि अरविंद कुमार के शब्दकोश में संसार के कोने-कोने से नए-नए शब्दों का जमाव हुआ है और इसके माध्यम से हमें भाषा के अलग-अलग क्षेत्रों से जूझने के लिए शब्दों के अत्याधुनिक औजार प्राप्त हो गए हैं।
Image : Forms at Play (Playing Forms)
Image Source : WikiArt
Artist : Franz Marc
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