यादों के सफर में मलेशिया ड्रीमलैंड

यादों के सफर में मलेशिया ड्रीमलैंड

अनदेखे को देखने की चाहत लिए हम धरती से 3,500 फीट की ऊँचाई पर मलेशियन एयर लाइंस के विमान से उड़े जा रहे थे, लगभग सात घंटे की यात्रा के बाद हमारा हवाई जहाज क्वालालम्पुर एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 पर उतरा। वहाँ की साफ-सफाई, व्यवस्था तथा आर्किटेक्चर सभी कुछ चकाचौंध करने वाले थे, मैं समझ नहीं पा रही थी कि एक पब्लिक प्लेस कैसे इतना चाक चौबंद रह सकता है जबकि दुनिया के सभी देशों के लोग यहाँ पर झुंड के झुंड आते हैं। वहाँ देखा कि कहीं कोई भीड़-भाड़, कोई हड़बड़ाहट नहीं थी, हर काम बड़े ही व्यवस्थित ढंग से हो रहा था। प्रकृति के दिलकश नजारों का लुत्फ उठाते हुए हम एयरपोर्ट से अपने होटल पहुँचे। उस दिन हमारा दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक सिटी टूर का प्रोग्राम था। हमने टूर में के.एल. टॉवर, ट्विन टॉवर, सम्राट अब्दुल समद महल, वहाँ का हैंडीक्राफ्ट, संसद भवन तथा चॉकलेट फैक्ट्री देखी, परंतु एक बात का थोड़ा अफसोस था कि मलेशिया का मुख्य आकर्षण पैट्रोनॉट ट्विन हम अंदर जाकर न देख सके, क्योंकि पर्यटकों के लिए अंदर जाने का समय सुबह 8:30 से 11:00 तक है। सोमवर को यह टॉवर पूरी तरह से बंद रहता है। शाम छह बजे टूर की समाप्ति पर हम सीधे होटल न जाकर शाकाहारी भोजन की तलाश में भटकते रहे। हालाँकि नानवेजिटेरियन तथा सी. फूड पसंद करने वालों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। हमारी अच्छे भोजन की तलाश श्रवण रेस्तराँ जाकर खत्म हुई, जिसकी चेन पूरे मलेशिया तथा सिंगापुर तक फैली है। रेट और क्वालिटी दोनों के हिसाब से यह रेस्तराँ बहुत अच्छा था। फिर तो हमने वहाँ गोल-गप्पे भी खाए।

दूसरे दिन हम होटल से नाश्ता करके क्वालालम्पुर से लगभग एक घंटे की दूरी स्थित ‘सन् वे लैगून’ पहुँचे जो एक बहुत बड़ा थीमपार्क है। अंदर जाने पर पता चला कि वहाँ वॉटरपार्क भी है। पूरी जानकारी न होने के कारण हम अपने साथ तैरने की पोशाक लेकर नहीं गए थे। हमें पार्क का पूरा लुत्फ उठाने के लिए स्वीमिंग कॉस्ट्यूम खरीदने पड़े। इस पार्क की कई खूबियों में मुझे वहाँ ‘स्कॉलर रॉक्स कलेक्शन’ बहुत अच्छा लगा। यह अपनी किस्म का दुनिया का सबसे बड़ा कलेक्शन था जिसकी नैसर्गिक सुंदरता ने मन मोह लिया। हरेक चट्टान किसी समाधि में लीन साधु के समान लग रही थी। मेरा मन वहाँ से थोड़ा दूर स्थित ‘मलक्का’ जाकर फलों के बगीचे देखने को मचल रहा था। हम जब तक कुछ निर्णय लेते तभी जोरों की बरसात आ गई जो लगभग दो घंटों तक रही। हमने वहाँ गरम-गरम कार्न खाकर तथा शीतल पेय पीकर अपना समय व्यतीत किया, और तब तक मलक्का जाने का समय भी समाप्त हो चुका था। हमें महसूस हुआ कि हमें वहाँ अपने साथ कुछ छतरियाँ भी लेकर चलना चाहिए क्योंकि वहाँ मौसम का कोई ठिकाना नहीं होता। कह नहीं सकते कि कब बरसात आ जाए।

वापसी में हम ‘बरजाया टाइम्स’ शॉपिंग मॉल गए। यह मॉल हमारे होटल के पास ही था तथा मलेशिया के सबसे अच्छे और आधुनिक मॉलों में इसकी गिनती होती है। इसके अलावा पी.पी. प्लाजा तथा मेगा जाते हैं। इतने बड़े मॉल में जाने का हमारा यह पहला अनुभव था। जाने कितने एक्सेलेटर्स पर हम ऊपर-नीचे, इधर-उधर कुछ खरीदारी, कुछ विंडो शॉपिंग में घूम रहे थे। इसी मॉल में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा ‘इनडोर रोलर कोस्टर’ था। एडवेंचर पसंद लोगों का उस पर बैठना बड़ा रास आ रहा था। हम सभी एक-दूसरे को सँभाले थे, डर था कि हम कहीं खो न जाएँ। एक दुकान से हमने डिजिटल कैमरा खरीदा। वाकई यह अपने आपमें एक अनूठा अनुभव था। मेरे विचार से यहाँ आने वाले पर्यटकों को कुछ समय निकालकर आईमैक्स मूवी थिएटर जरूर देखना चाहिए।

तीसरे दिन हम जेटिंग हाइलैंड के लिए रवाना हुए, यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए जेटिंग हाइलैंड एक मुख्य आकर्षण है। विशेष रूप से होटल जेटिंग में रुकना क्योंकि हमारे मनोरंजन का सारा साजो-सामान इस होटल में बिखरा पड़ा है। कई हेक्टेयर भूमि पर फैला पाँच मंजिला यह मनोरंजन स्थल एशिया के स्वर्ग से कम नहीं था। क्वालालम्पुर से होटल जेटिंग पहुँचने के लिए हमें लगभग दो घंटे लगे। रास्ते में ‘बटुक केव’ थी जो बौद्ध भिक्षुकों के द्वारा पहाड़ी पर बनायी गई थी। अंतिम बस स्टॉपेज के बाद हम एशिया की सबसे तेज चलने वाली केबल बस के द्वारा ऊँचाई पर स्थित होटल पहुँचे। इस केबल बस में 3 से 4 कि.मी. का सफर 15 मिनट में ही पूरा कर लिया। हम वहाँ करीब 1000 फीट की ऊँचाई पर बैठे प्रकृति के खूबसूरत नजारों का आनंद ले रहे थे।

जेटिंग में हमारा दो दिन रुकने का प्रोग्राम था, क्योंकि मैं यहाँ की स्वर्णिम स्मृतियों को अपने मानस पटल पर भलीभाँति सँजो लेना चाहती थी, शाम के समय हम दो ग्रुपों में विभाजित होकर टहलने निकले क्योंकि वहाँ की भव्यता देखकर हमें अंदाजा हो गया था कि इस प्रकार हम सभी अपनी-अपनी रुचियों के अनुसार घूम सकते हैं। वह हमारी कल्पनाओं से भी अधिक बड़ा तथा भव्य था। यहाँ आने पर जितनी मुझे खुशी हो रही थी उतना ही मेरा भावुक मन कुछ सोचने को विवश था। निःसंदेह मानसिक तथा बौद्धिक स्तर पर हम भारतीय दुनिया के किसी भी व्यक्ति से कम नहीं हैं, क्या ही अच्छा होता कि उसका बाहरी कलेवर भी उतना ही खूबसूरत होता। वहाँ जाकर मेरा देशप्रेम जागृत हो गया। मैं सोच रही थी कि कितना अच्छा होता कि हम परंपराओं और रूढ़ियों के अंतर को समझते हुए स्वयं तथा अपने नजदीक के माहौल को बदलते। मैं सोच रही थी कि हम भी पर्यावरण प्रेमी हैं, हमारे सभी त्योहार तथा सभी धार्मिक गाथाएँ बिना जीव-जंतु एवं पेड़-पौधों के अधूरी हैं, किंतु हम अपना प्रकृति प्रेम उनकी पूजा करके दर्शाते हैं, न कि उनको संरक्षण देकर। मेरे पास उसका वर्णन करने के लिए शब्द कम पड़े रहे हैं। कल्पनाशीलता तो वहाँ बिखरी पड़ी थी। एक-एक चीज अलग-अलग एंगिल से एक अलग ही खूबसूरती का एहसास करा रही थी। इंडोर झूलों में झूलने के लिए हमने बच्चों का कॉम्पेक्ट टिकट कटा दिया। इस प्रकार हमने फ्री होकर शॉपिंग की तथा बच्चे झूलों का मजा लेते रहे। यहाँ रुकने वाले यात्रियों के लिए बॉलिंग एले का खूब लुत्फ उठाया और मैं करीने से सजी विंडो ड्रेसिंग का आनंद लेती रही।

दूसरे दिन वहाँ हमने स्काई एडवेंचर का आनंद उठाया। वहाँ पहुँच कर लग रहा था कि हम अंतरिक्ष में तैर रहे हैं। एक छोटी सी स्नोसिटी भी वहाँ बसी थी। हमने सुना था कि सिंगापुर में भी एक स्नोसिटी है, जहाँ जाने का हमने मन बनाया। रात के समय हम वहाँ स्थित एशिया के सबसे बड़े कैसीनो को देखने गए जो कि दो भागों में विभाजित था। एक में पुरुषों को सूट पहनकर जाना अनिवार्य था, जबकि दूसरे कैसीनों में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था।

यहाँ भारतीयों के लिए ‘स्पाइस गार्डन’ नाम का रेस्टोरेंट है जहाँ हमें अपनी रुचि के मुताबिक बड़ा ही लजील खाना मिला। शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए यहाँ हर तरह की सुविधा मुफ्त मुहैया कराई जाती है। इसी प्रकार यदि उन दिनों किसी का जन्मदिन हो तो अपना पासपोर्ट दिखाकर वह व्यक्ति बिना कुछ खर्च किए अपना जन्मदिन इन यादगार लम्हों में बिताकर अपनी स्मृतियों में सुरक्षित रख सकता है। वहाँ सब कुछ इतना यादगार था कि वहाँ से चलते समय मैं अपने आपको स्वप्न से जागा महसूस कर रही थी।


Image: Collectie NM van Wereldculturen TM 1754 7 Kustgezicht met boten, bomen en bergen
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