मेरी जिंदगी कविता है

मेरी जिंदगी कविता है

वक्तव्य

मैं लोगों को जोड़ना पसंद करता हूँ। मैं सच्चे मन से विश्वास करता हूँ कि कविता लोगों को जोड़ती है, मानवी संबंधों को दृढ़ बनाती है। सद्भावना परक सामाजिक परिवेश का निर्माण करना मेरा प्रयास रहा है। मैं लोगों को आपसी सम्मान और विश्वास के दायरे में बँधकर शांति से जीते हुए देखना चाहता हूँ। मैं प्रेम और आत्मीयता की सुंदर दुनिया का निर्माण अपनी कविता के माध्यम से सद्भावना की सुगंध फैलाकर करना चाहता हूँ। अच्छी कविता सेतु बाँधती है, प्रतिबंधों और वंशानुक्रम को तोड़ देती है। मेरी दृढ़ धारणा है कि भारतीय संस्कृति और संवेदनशीलता का आधार अनेकत्व और भिन्नता में एकता पर टिका हुआ है। मैं स्वयं निर्मित व्यक्ति हूँ। अपने आपको ऊँचे स्थान पर बिठाने की मेरी कोई महान सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि नहीं है। गरीबी, निरक्षरता, ग्रामीण और गँवारू परिवेश ने मुझे और मेरी कवित्त चेतना को रूपायित किया।

विद्यार्थी की अवस्था और बाद में भी मैंने अपनी आजीविका और अपने करियर की स्थिरता के लिए कठोर कार्य किए। मेहनत, भूख और अपनी जिंदगी के अभेद्य अवरोधों का सामना करने की दृढ़ता से मुझे मुस्कान और प्रेम से चुनौतियों से मुठभेड़ करने और मानवता को गले लगाने की ताकत मिली।

कवि संगम जो एक युवा कवियों का मंच है, के द्वारा उनमें विश्वास भरने, कुशलताओं को विकसित करने एवं वर्तमान और भविष्य को जोड़ने के मेरे प्रयास रहे, जिसके द्वारा साम्यपूर्ण वितरण के समाज में भाईचारा विकसित हो, पल्लवित हो। मेरा दिशा निर्देशन यह स्पष्ट करता है कि मैं क्या हूँ और मेरी कविता का विषय मेरे प्रमुख उद्देश्यों को स्पष्ट करता है। यद्यपि मैंने प्रसंगानुकूल उर्दू शब्दों का प्रयोग किया होगा, तो भी खुद को एक विशेष दर्जा दिलाने के लिए नहीं और ना ही मेरी काव्याभिव्यक्ति को सुसज्जित करने के लिए।

मेरे पाँच कविता संकलन सरल, दैनंदिक बोलचाल की भाषा और प्रतीकों से चित्रीकृत हैं, जो दुरूह विषयों को स्पष्ट और शृंखलाबद्ध करते हैं। मेरी पत्नी शीला लोलिता भी एक कवयित्री हैं। उनके सांगत्य में मेरी कविता को नई तरफदारी, दिशा और स्वयं को एक नया आभा मंडल मिलता है। मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों के प्रति आभारी हूँ, जिन्होंने तेलुगु असोसियेट प्रोफेसर के रूप में मेरे करियर को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी और कवि के रूप में अनदेखे दृश्यों को अविष्कृत करने में निरंतर सहयोग देते रहे। मुझे भारतीय होने का गर्व है। एक कवि होने का गर्व है। ‘नई धारा’ परिवार को धन्यवाद! कविता की जय हो।


Image Source : Nayi Dhara Archives

डॉ याकूब द्वारा भी