‘नई धारा’ के सम्मानों की घोषणा

‘नई धारा’ के सम्मानों की घोषणा

वर्ष 2023 का ‘उदय राज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव कौशिक को

 

न्नीस सौ पचास से निरंतर प्रकाशित होती आ रही चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ ने 2023 के अपने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। वर्ष 2023 का सत्रहवाँ ‘उदय राज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव कौशिक (चंडीगढ़) को दिया जाएगा, जिसके तहत उन्हें 1 लाख रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न आदि अर्पित किए जाएँगे। इसके साथ ही चर्चित कथाकार दीर्घ नारायण (लखनऊ), सुप्रतिष्ठ समालोचक राकेश शर्मा (इन्दौर) और चर्चित कवि पंकज चौधरी (दिल्ली) वर्ष 2023 के ‘नई धारा रचना सम्मान’ से नवाजे जाएँगे, जिसके लिए सभी रचनाकारों को 25-25 हजार रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न आदि अर्पित किए जाएँगे। 

यह घोषणा ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथ राज सिन्हा ने की। उन्होंने बताया कि सम्मानों के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध लेखिका चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसके अन्य सदस्य थे प्रसिद्ध दलित लेखक डॉ. श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के संकायाध्यक्ष रहे प्रो. के.एन. तिवारी। समिति को ‘नई धारा’ में अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक के अंकों में छपी रचनाओं में से ही रचनाकारों का चयन करना था। 

‘नई धारा’ के संपादक डॉ. शिवनारायण ने बताया कि वर्ष 2023 का आयोजन अगले 5 नवंबर, 2013 को दिल्ली स्थित त्रिवेणी संगम सभागार में होगा, जिसमें सभी रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीते 74 वर्षों से निरंतर प्रकाशित होती आ रही ‘नई धारा’ द्वारा सम्मानों का आरंभ वर्ष 2007 से हुआ था। तब से यह सम्मान अब तक सर्वश्री रामदरश मिश्र, हिमांशु जोशी, चित्रा मुद्गल, कुँवर नारायण, विवेकी राय, महिप सिंह, विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, अशोक चक्रधर, केदारनाथ सिंह, मैत्रेयी पुष्पा, मुदुला सिन्हा, मैनेजर पांडेय, नरेश सक्सेना, चन्द्रशेखर कंबार, सूर्यबाला, कमल किशोर गोयनका प्रभृति साहित्यकारों को दिए जा चुके हैं।

डॉ. शिवनारायण के अनुसार सत्रहवाँ उदय राज सिंह स्मृति सम्मान पाने वाले प्रसिद्ध ग़ज़लकार माधव कौशिक का जन्म 1 नवंबर, 1954 ई. को हरियाणा के भिवानी में हुआ। ग़ज़लों के बारह संग्रह सहित साहित्य की विभिन्न विधाओं में उनकी अब तक 50 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके रचनाकर्म पर दर्जनाधिक शोधकार्य हो चुके हैं, जबकि उनकी रचनाओं के अनेक भाषाओं में अनुवाद भी हुए। अनेक राष्ट्रीय सम्मानों से विभूषित किए जा चुके माधव कौशिक संप्रति केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष हैं। 

सुप्रतिष्ठ कथाकार दीर्घ नारायण का जन्म 1968 ई. में बिहार के अररिया जिले के बकैनियाँ नामक गाँव में हुआ। देश की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ छपती रही हैं। उनकी कहानियों के चार संग्रह–‘पहला रिश्ता’, ‘क्रांति की मौत’, ‘हिन्दुस्तान की डायरी’ और ‘चन्दर की सरकार’ प्रकाशित हो चुके हैं, जबकि इसी वर्ष वृहत्काय उपन्यास ‘रामघाट पर कोरोना’ का प्रकाशन भी हुआ है। भारतीय रक्षा संपदा सेवा के वरिष्ठ अधिकारी दीर्घनारायण इन दिनों लखनऊ में निदेशक पद पर कार्यरत हैं।

सुप्रतिष्ठ समालोचक राकेश शर्मा का जन्म 1 जुलाई, 1961 ई. को उ.प्र. के औरैया जिले में हुआ। उनकी आलोचना, संस्मरण, कविता, साक्षात्कार आदि विधाओं में लगभग 20 पुस्तकें प्रकाशित हैं। भारत सरकार के एक उपक्रम में बतौर सहायक निदेशक अवकाश ग्रहण करने के बाद वे हिंदी की सबसे पुरानी पत्रिका ‘वीणा’ के 2016 से संपादक हैं। 

चर्चित कवि पंकज चौधरी का जन्म 15 जुलाई, 1976 ई. को बिहार में सुपौल जिले के कर्णपुर नामक गाँव में हुआ। इनके दो काव्य संग्रह–‘उस देश की कथा’ और ‘किस-किस से लड़ोगे’ सहित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश की सभी प्रमुख पत्रिकाओं में ये प्रकाशित होते रहे हैं। कविता में वंचितों के स्वर की अभिव्यक्ति के लिए ये खासे चर्चित रहे हैं। फिलहाल ये दिल्ली में स्वतंत्र लेखन से जुड़े हैं।


 

समाचार डेस्क द्वारा भी

इस अवसर पर ‘नई धारा’ की संचालिका शीला सिन्हा द्वारा कवि केदारनाथ सिंह को नौंवें उदय राज सिंह स्मृति सम्मान से विभूषित करते हुए उन्हें एक लाख रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्र प्रदान किए। ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथ राज सिंह ने उपन्यासकार पद्मश्री डॉ. उषाकिरण खान, व्यंग्यकार डॉ. प्रेम जनमेजय तथा कथाकार शंभु पी. सिंह को ‘नई धारा रचना सम्मान’ से नवाजते हुए उन्हें 25-25 हजार रुपये सहित सम्मान पत्र, प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्र आदि अर्पित किए। आरंभ में स्वागत भाषण करते हुए ‘नई धारा’ के प्रधान संपादक डॉ. प्रमथ राज सिंह ने कहा कि ‘नई धारा’ केवल साहित्यिक पत्रिका भर नहीं, बल्कि हमारे लिए एक रचनात्मक अभियान है, जहाँ साहित्यकारों के सम्मान से हम समय, समाज और साहित्य को एक सकारात्मक दिशा देना चाहते हैं। यही ‘नई धारा’ की विरासत और परंपरा है।