राजेन्द्र स्मृति सम्मान

राजेन्द्र स्मृति सम्मान

प्रख्यात कवि-कथाकार और चिंतक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पांडेय जीवित होते तो अपना अमृत जन्मोत्सव देखकर खुश होते। उनकी सहधर्मिणी डॉ. शशि कला पांडेय ने पिछले दिनों वाराणसी में उनका अमृत जन्मोत्सव मनाया, जिसमें ‘सर्जना शिखर राजेन्द्र प्रसाद पांडेय का व्यक्तित्व और कृतित्व’ महाग्रंथ का विमोचन तो हुआ ही, उनकी नई कृतियों–‘साहित्य का आभामंडल’ और ‘नदिया नाव संजोग’ का लोकार्पण भी हुआ। महाग्रंथ तो जैसे उन पर निकला स्मृति ग्रंथ ही हो गया है, जिसमें सौ से अधिक लोगों ने पांडेय जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का बहुकोणीय विवेचन तो किया ही है, उनके लेखन की बानगी का भी एक खंड ग्रंथ में है, जिसमें उनका अप्रकाशित उपन्यास ‘फरिश्ते’ भी है। ढेर सारे छायाचित्रों के साथ कुछ बड़े लेखकों के पत्र भी हैं। कम लोग ही जानते होंगे कि पांडेय जी के पठन-पाठन का मूल संस्कृत भाषा रही और उन्होंने काफी संस्कृत साहित्य भी रचा। नई प्रकाशित कृति ‘साहित्य का आभामंडल’ में उनकी आलोचना है तो ‘नदिया नाव संजोग’ में संस्मरण, जिसमें पांडेय जी ने ‘अज्ञेय, अमृतलाल नागर, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव, विद्यानिवास मिश्र, श्रीलाल शुक्ल, शिवप्रसाद सिंह और धूमिल जैसे बड़े-बड़े लेखकों पर लिखा है। शशि कला पांडेय ने अपने सहचर के अप्रकाशित साहित्य की खोजबीन कर उसे प्रकाशित करने का बीड़ा तो उठाया ही, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के मूल्यांकन का काम भी शुरू किया है वाराणसी में पांडेय जी के जन्मोत्सव के बहाने, जिसे प्रतिवर्ष किए जाने की योजना है। इस अवसर पर हिंदी, संस्कृत और भारतीय भाषाओं से चुने गए लेखकों–नासिरा शर्मा और अभिराज राजेन्द्र मिश्र को ‘सृजन शिखर सम्मान’ दिया गया, एक-एक लाख की सम्मान राशि के साथ। सम्मान चयन में नान्दी सेवा न्यास की अध्यक्ष डॉ. शशि कला पांडेय के साथ ‘नई धारा’ के संपादक डॉ. शिवनारायण, ‘वीणा’ के संपादक राकेश शर्मा, डॉ. गायत्री प्रसाद पांडेय और प्रो. रहस बिहारी द्विवेदी शामिल थे। आयोजन के दौरान कहा गया कि पांडेय जी हिंदी ही नहीं, संस्कृत के भी उच्च कोटि के कवि रहे।
हिंदी में छपा उनका उपन्यास ‘गाँव-बेगाँव’ फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ की याद दिलाता है। तो कहीं-कहीं श्रीलाल शुक्ल का ‘राग दरबारी’ भी याद आता है। आँचलिक उपन्यासों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। पांडेय जी ने उच्च कोटि के निबंध भी लिखे हैं। समारोह में कमलेशदत्त त्रिपाठी, अच्युतानंद मिश्र, अरुणेश नीरन, हरिप्रसाद अधिकारी, अनंत मिश्र, हरिराम द्विवेदी, चितरंजन मिश्र, बलराम, मुक्ता, शशिकला त्रिपाठी, शुभदा पांडेय, प्रकाश उदय, के.एन. तिवारी, राधेश्याम द्विवेदी, रामसुधार सिंह, विवेक पांडेय, वशिष्ठ अनूप और एस.एस. उपाध्याय ने पांडेय जी के जीवन और साहित्य पर अपने उद्गार व्यक्त किए। अजितकुमार राय, चंद्रकला त्रिपाठी, श्यामल, मनुलता शर्मा, लक्ष्मी दुबे, अरविंद पांडेय, मालती गोस्वामी, रमेशचंद्र तिवारी, उमारानी त्रिपाठी, आर.एन. पांडेय और रंजना गौड़ आदि अनेक गणमान्य लोगों ने समारोह में भाग लेकर उसे सफल बनाया। पांडेय जी के ज्येष्ठ पुत्र कीर्तिरत्न समारोह के लिए आयरलैंड से वाराणसी पधारे तो कनिष्ठ पुत्र यशोरत्न ने आयोजन की सारी जिम्मेदारी सँभाली, जिसके लिए वक्ताओं ने उन्हें बधाई दी।