कोख का किराया
- 1 August, 2015
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- 1 August, 2015
कोख का किराया
आज मनप्रीत, हारी हुई सी, घर के एक अँधेरे कोने में अकेली बैठी है। वह तो आसानी से हार मानने वालों में से नहीं है। आज तो पूरा कमरा या पूरा घर ही पराजय का पर्याय सा बना हुआ है। सूना, अकेला, सुनसान सा घर! अभी कल तक तो घर में सब कुछ था–खुशी, प्रेम, विश्वास! हत्या हुई है! भावनाओं की हत्या! किंतु मनप्रीत ने कब किसकी भावनाओं का आदर किया है! अपने वर्तमान के लिये वह किसे उत्तरादायी ठहराये? वर्तमान कोई किसी साधु महात्मा द्वारा जादू के बल पर अचानक हवा में से निकाला हुआ फल या प्रसाद तो है नहीं! अतीत की एक-एक ईंट जुड़ती है तब कहीं जा कर बनता है वर्तमान!
अतीत! कैसा था मनप्रीत का अतीत? कैसा था उसका बचपन? कैसी थीं वो गलियाँ, जहाँ वह खेली थी? भला लंदन में भी कोई गलियों में खेलता है? यहाँ तो प्रत्येक काम पूरे कायदे और सलीके से होता है। यदि खेलना हो तो लैजर सेंटर, जाओ! वहाँ स्विमिंग करो, बैडमिंटन खेलो, जिमनेजियम में व्यायाम करो, जो भी करो एक दायरे में बँध कर! दायरे-नियम से बाहर कुछ नहीं कर सकते। यही बँधकर रहना तो मनप्रीत को मंजूर नहीं था। यदि उसका बस चलता तो संसार के सारे नियमों को ध्वस्त कर देती। कानून की किताबों को जला देती! मनप्रीत की सोच तो हमेशा से ही यही रही है, ‘यह मनुष्य का जन्म क्या बार बार मिलता है? अरे जीवन के मजे ले लो! नहीं तो भगवान भी वापिस धरती पर भेज देगा कि जाओ, अभी कितने काम करना बाकी है। तुमने चरस नहीं चखी, सिगरेट का धुआँ नहीं उड़ाया, शराब का स्वाद नहीं जाना। बोर! गो बैक अगेन!’
क्या वह जीवन की घड़ी को वापिस चला सकती है? क्या जो कुछ घट चुका है, उसे जीवन की स्लेट से पोछा जा सकता है? क्या उसे पश्चाताप की अनुभूति हो रही है? नहीं-नहीं उसने कोई गलत काम नहीं किया! भला वह गलत काम कर ही कैसे सकती है?
‘नी प्रीतो! सुधर जा! एह मुंडयाँ नाल घुमणा फिरणा बंद कर दे। कुलच्छणियें, सारी उमर पछतायेंगी!’
माँ! उसे तो बस एक ही काम था कि वह प्रीतो को समझा सके कि वह पछतायेगी। क्या यह माँ की बद्दुआ है जो उसे पश्चाताप के आँसू पिला रही है। माँ को तो प्रीतो का गोरे लड़कों के साथ मेलजोल कभी भी सहन नहीं होता था। ‘ओये तूँ गाय का मीट खाणे वालों से कैसे बोल लेती है,’ दुनियाँ आवाज की गति से तेज उड़ान भर रही है और माँ अब तक गाय के चक्कर में पड़ी है! कितनी अनपढ़ हैं माँ भी, बीफ को बीफ न कह कर गाय का मीट कहती है।
मनप्रीत तो आज भी खाना पकाने के लिये रसोई में जाने के मुकाबले मैक्डॉनल्ड का हैंबर्गर मँगवाना पसंद करती है। हैपी मील! बिग मैक! बेकन डबल चीज बर्गर! क्वार्टर पाउंडर! और जाने क्या क्या!
शुरू शुरू में तो गैरी भी बुरा नहीं मानता था। फिर वह भी बाजार का बना खा-खा कर बोर हो गया। गैरी स्वयं भी तो अपने परिवार का पहला विद्रोही था। उसके माता पिता तो पूरे के पूरे विक्टोरियन जमाने के उसूल मानने वाले ब्रिटिश परिवारों में से एक थे। गैरी अँग्रेज और काली लड़कियों में अधिक रुचि नहीं लेता था। उसके दिमाग में बस एक ही बात बैठी हुई थी कि इन लड़कियों में संस्कारों का क्षय होता जा रहा है। गैरी ब्रिटिश रेल में ड्राइवर है। बस जीसीएसई तक पढ़ाई की है–यानी कि एसएससी! इंग्लैंड में डिग्रियों के पीछे भागने का सिलसिला भी तो भारतीय मूल के लोगों ने ही आकर शुरू किया है। मध्यवर्गीय भारतीय अपनी संतान को जमीन जायदाद तो दे नहीं पाता, बस पढ़ाई और डिग्री ही उनके लिये जायदाद हो जाती है। अँग्रेज तो स्कूल की अनिवार्य शिक्षा के पश्चात किसी न किसी हाथ के काम में दीक्षा हासिल कर अपना जीवन शुरू कर लेते हैं।
गैरी की पहली ‘गर्ल फ्रेंड’ लिजा तो एक गोरी लड़की ही थी। स्कूल में उससे दो क्लासें आगे थी–यानी कि उससे दो वर्ष बड़ी थी। स्कूली शिक्षा के साथ-साथ दोनों एक दूसरे को यौन शिक्षा में भी पारंगत करने लगे। जब गैरी के माता पिता ने आपत्ति उठाई तो दोनों अलग रहने लगे। इंग्लैंड का भी अजब सिलसिला है कि सोलह वर्ष से कम उम्र की लड़की दुकान से सिगरेट नहीं खरीद सकती, किंतु माँ बन सकती है। वयस्क हुए बिना विवाह नहीं हो सकता किंतु माँ बना जा सकता है! दोनों अभी काम तो करते नहीं थे। एक और ‘टीनएजर’ माता-पिता! ‘सोशल सिक्योरिटी’ की सहायता जिंदाबाद! दोनों को लगा कि जीवन की गाड़ी पटरी पर बैठने लगी है।
मनप्रीत के जीवन की गाड़ी तो पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। गैरी की भाषा में ‘डी-रेल’ हो गई है। गैरी और मैनी! हाँ गैरी और मनप्रीत के सभी दूसरे मित्र तो उसे मैनी कह कर ही पुकारते हैं। मैनी अब अकेली मैना हो गई है। गैरी अपनी बेटी रीटा और पुत्र कार्ल को अपने साथ ले गया है। विद्रोही प्रवृति का गैरी भी मैनी के इस निर्णय का साथ अधिक दिनों तक नहीं दे पाया।
मनप्रीत ने यह निर्णय लिया ही क्यों? यह बात भी सच है कि इंग्लैंड के अधिकतर युवा वर्ग की ही भाँति वह भी फुटबॉल के खेल की पागलपन की सीमा तक दीवानी है। ‘आर्सेनल’ उसकी प्रिय टीम है और उसका सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी बीफी डेविड उसका प्रिय खिलाड़ी। डेविड गैरी का मित्र भी है और ठीक गैरी ही की तरह उसे भी भारतीय मूल की लड़कियाँ विवाहित जीवन को अधिक स्थायित्व प्रदान करने वाली लगती हैं। गैरी और डेविड एक ही स्कूल से पढ़े हैं। यदि मैनी गैरी को पसंद थी तो डेविड को जया। जया भी मैनी ही की भाँति लंदन में जन्मी थी, किंतु उसकी परवरिश अधिक संस्कारयुक्त है। उसके माता पिता ने बहुत नपे तुले ढंग से अपनी पुत्री के व्यक्तित्व में इंग्लैंड और भारत के संस्कारों का मिश्रण पैदा कर दिया है। जया के व्यक्तित्व में एक ठहराव है जबकि मैनी तो इतनी विद्रोही प्रवृति की है कि डॉक्टर द्वारा तय किये गए समय से छह सप्ताह पहले ही इस दुनिया में आ धमकी।
कभी-कभी ईर्ष्या भी होती थी। जया के चित्र समाचार पत्रों की सुर्खियाँ बन जाते हैं। लाखों की आमदनी है। महलनुमा घर! जया है भी तो भारतीय संगीत में पारंगत। भारतीय और पश्चिमी संगीत के फ्यूजन के शो करती है। उसके सी.डी. और कैसेट भी लाखों की संख्या में बिकते हैं। बेचारी मैनी! रेलवे ड्राइवर की पत्नी! गैरी तो बस किसी तरह तीन बेडरूम का घर ही खरीद पाया और वह भी किश्तों पर! हर महीने पाँच सौ पचास पाउंड तो ‘मॉर्गेज’ की किश्त में ही निकल जाते हैं। मार्गेज और किश्तों का जीवन! मैनी स्वयं भी तो डेबेन्हेम्स में सेल्स एडवाइजर है। कितना विशाल स्टोर है। अस्थिरता मैनी के व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग है। जब जी चाहा नौकरी की, जब चाहा छोड़ दी। पिछले दस वर्षों में सात नौकरियाँ बदल चुकी है। दो बार तो बच्चे होने पर ही नौकरियाँ छोड़नी पड़ी थीं। कभी गैरी के साथ विदेश यात्रा पर जाने के लिये छुट्टी नहीं मिली तो नौकरी से त्यागपत्र!
आज तो सारा जीवन ही उसे त्यागपत्र थमा कर आगे बढ़ गया है। भूख, प्यास, भावनाएँ एकाएक उसका साथ छोड़ कहीं छुप से गए हैं। क्या अपनी गलतियों को स्वीकार करने का माद्दा मनप्रीत में है? उसने तो जीवन भर वही किया जो उसके मन ने चाहा है। सामाजिक नियमों की सीमा की उसने परवाह ही कब की है। जया की खुशियों से मन ही मन त्रस्त रहने वाली मैनी जब रीटा और कार्ल को देखती तो मन में एक विचित्र सी प्रसन्नता का आभास होता। डॉक्टरों ने घोषित कर दिया कि जया माँ नहीं बन सकती। प्रकृति के नियम भी तो विचित्र हैं। भगवान सब कुछ दे कर भी कहीं न कहीं तो कटौती कर ही लेते हैं। डेविड को बच्चों का बहुत शौक है। उसका बस चले तो गोलकीपर से लेकर सेंटर फारवर्ड तक पूरी टीम ही घर में बना लेता। किंतु उसका जया के प्रति समर्पण इतना संपूर्ण है कि उसने अपने मन की बात को कभी जया तक पहुँचने नहीं दिया।
जया और डेविड के साथ अपनी दोस्ती का रौब तो मैनी गाँठती ही रहती है। जया को भी मैनी और उसके बच्चों से मेल मिलाप भाता है। एक विचित्र से अपनेपन का अहसास होता है उसे। वह कार्ल और रीटा के लिये क्रिसमस के उपहार खरीदना कभी नहीं भूलती और यह दोनों बच्चे भी बेसब्री से अपने जन्मदिन और क्रिसमस की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि जया आंटी महँगे-महँगे उपहार जो देती है। डेविड कहीं भी मैच खेलने जाता है, तो जया, मैनी और गैरी सदा ही मैच में उपस्थित रहते हैं। डेविड जब-जब गेंद लेकर विपक्षी पाले की ओर भागता तो तीनों लगभग पागलों की भाँति तालियाँ बजा बजा-कर प्रसन्नता का प्रदर्शन करते। मैच जीतने के पश्चात डेविड जया को गले मिलता और उसका चुंबन लेता। गले तो वह गैरी और मैनी के भी मिलता। मैनी को वह गाल पर चुंबन देने का प्रयास करता तो मैनी अति उत्साह का प्रदर्शन करते हुए डेविड के होंठों को चूम लेती। गैरी अपनी पत्नी के पागलपन से परिचित है, किंतु इस बात को लेकर उसके मन में कोई संदेह या विशाद नहीं है। डेविड सदा से ही मैनी का हीरो रहा है। वह हर प्रकार से उसे रिझाने का यत्न करती है, किंतु सामने से कोई अनुकूल प्रतिक्रिया न मिलने के कारण मन मार कर रह जाती है। यदि डेविड मैनी में थोड़ी भी रुचि दिखाये, तो वह एक बार फिर सारी सीमाएँ तोड़ने को तैयार है।
कभी कभी हैरान भी होती है मैनी कि अँग्रेज हो कर भी डेविड पारिवारिक बंधन और सीमाओं का इतना आदर कैसे कर लेता है। यहाँ तो हर कोई किसी भी दूसरे के बिस्तर में घुसने को तैयार रहता है। वैसे भी डेविड के बारे में खासी चटपटे समाचार तो वह समाचारपत्रों में पढ़ती रहती है। फिर भी वह समझ नहीं पाती कि जया में ऐसा क्या आकर्षण है जो कि डेविड को उसके व्यक्तित्व के साथ बँधे रहने पर मजबूर कर देता है?
‘मैनी, मुझे हमेशा एक अपराध बोध सालता रहता है। पाँच वर्ष हो गए हमारे विवाह को। हम दोनों तो परिवार नियोजन के लिये कोई सावधानी भी नहीं बरतते रहे। फिर भी! पिछले एक वर्ष से तो नार्थविक पार्क हस्पताल, प्राइवेट नर्सिंग होम और जाने कहाँ-कहाँ के चक्कर लगा चुकी हूँ। डेविड को बिना बताये भारत से कितने गंडे तावीज भी मँगवा कर पहन चुकी हूँ। अब तो डॉक्टर ने साफ साफ कह दिया है कि मैं माँ नहीं बन सकती।’
‘तो तुम दोनों कोई बच्चा गोद क्यों नहीं ले लेते?’
‘मैं तो इसके लिये तैयार हूँ किंतु डेविड को आपत्ति है। उसके हिसाब से अपना बच्चा अपना ही होता है। उधार के बच्चे में वो बात नहीं होती। उसे शक है कि वह उस बच्चे के साथ कभी भी उतना जुड़ पाएगा जितना कि एक प्राकृतिक लालन पालन के लिए आवश्यक है।’
‘तो क्या हल सोचा है तुम दोनों ने?’
‘मैंने तो यहाँ तक सुझाया था कि हम किराये की कोख का इस्तेमाल कर सकते हैं।’
‘किराये की कोख!’
‘हाँ, आज तो विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन के जरिये कुछ भी हो सकता है।’
‘इस पर डेविड की क्या प्रतिक्रिया है?’ मैनी का दिल जोरों से धड़कने लगा था। जया भी स्थिति को समझ रही थी। उसने बात आगे बढ़ाई, ‘तुम तो जानती हो कि यदि डेविड चाहे तो गोरी लड़कियों की कतार लग जाएगी उसके बच्चे की माँ बनने के लिये। दरअसल, उसे इन गोरी लड़कियों पर थोड़ा भी विश्वास नहीं है। जाने कल को क्या गुल खिलाएँ। कोर्ट में कोई केस फाईल कर दें यहाँ तो पैसे के लिये बात बात पर अदालत के दरवाजे पर पहुँच जाते हैं लोग।’
‘मैंने तो सुना है कि ऐसे मामलों में सब कुछ पहले ही लीगल तरीके से तय कर लिया जाता है।’
‘डेविड सोचता है कि यदि मेरा और डेविड का बच्चा होता तो एंग्लो इंडियन शक्ल का होता। इसलिए वह किसी इंडियन लड़की की तलाश में है, ताकि देखने में भी वह बच्चा हमारा बच्चा लग सके।’
मैनी विचारों की गति से भी तेज विमान पर सवार हो गई थी। डेविड की सोच पर वारी-वारी जा रही थी। हर पहलू पर कितना विचार करता है, तभी तो फुटबॉल में भी इतना सफल है। कहीं न कहीं से तिकड़म लगा कर गोल कर ही जाता है। उसकी उड़ान को धरती पर ले आई जया, ‘किस सोच में डूब गई? यार, यह काम तू क्यों नहीं कर लेती? तेरा बच्चा तो वैसे भी मुझे अपना सा लगेगा। सोच, तेरा और डेविड का बच्चा, हमारा वारिस बनेगा!’
जया तो चली गई, परंतु मैनी के पूरे व्यक्तित्व को झंझोड़ गई। चार-पाँच दिनों तक तो मैनी अपने परिवार तक से कटी रही। गैरी ने सोचा शायद मासिक धर्म के कारण ऐसा है। महीने के चार पाँच-दिन तो मैनी ऐसे ही चुप हो जाया करती है या फिर चिड़चिड़ी! चिड़चिड़ेपन के मुकाबले चुप्पी कहीं बेहतर है। मैनी जैसे अपने भीतर ही भीतर अपने आप से लड़ रही थी। डेविड को देख कर उसके मन में हमेशा से ही कुछ-कुछ होता रहा है। वह समाज के दकियानूसी नियमों को वैसे ही कब मानती है। किंतु गैरी डेविड का मित्र है और डेविड ने इस मित्रता का सम्मान सदा ही बनाये रखा है। जया की एक बात बार-बार सुनार की ठुक ठुक की तरह उसके दिमाग पर प्रहार कर रही थी, ‘सोच, तेरा और डेविड का बच्चा, हमारा वारिस बनेगा!’ क्या गैरी मान जाएगा? और फिर एकाएक उसके भीतर की एक निर्लज्ज कामना जाग उठी, ‘क्या डेविड उसे प्राकृतिक तरीके से गर्भवती बनाने पर राजी हो जाएगा? यदि ऐसा हो जाए तो उसे कोई एतराज नहीं, बल्कि वह तो जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का अहसास पा जाएगी। परंतु क्या डेविड?’ बात पहले डेविड से करे या फिर गैरी से? कभी दूध वाला भैया हुआ करता था गैरी। दूध की गाड़ी में लोगों के घरों तक दूध पहुँचाया करता था। वह हिंदी का मात्र एक ही शब्द समझ पाता था ‘दूधवाला’। एक घर में वह जब भी दूध की बोतलें छोड़ने जाता तो वहाँ एक बच्चा अपनी माँ को आवाज दे कर कहता, ‘ममी दूध वाला आया है।’ दूधवाला गैरी अचानक ब्रिटिश रेलवे में ड्राइवर बन गया। यही तो कमाल है इस देश का। मनुष्य अपने जीवन की गाड़ी की पटरी कभी भी बदल सकता है। भारत की तरह नहीं कि एक नौकरी पकड़ी तो सारा जीवन उसी के लड़ से जुड़े रहे। आज गैरी का रेस्ट डे है यानी कि छुट्टी है। पर गैरी आज भी ओवर टाईम के चक्कर में काम पर गया है। उसे जब-जब छुट्टी के दिन काम पर बुलाया जाता है वह अवश्य काम पर जाता है। इसी तरह थोड़ी अतिरिक्त कमाई हो जाती है और परिवार की छोटी-छोटी आवश्यकताएँ पूरी हो जाती हैं। गैरी की रेल पटरी पर चल रही है और मैनी का वैचारिक द्वंद्व कल्पना की उड़ान भरने में व्यस्त है।
उसने निर्णय ले लिया। वह डेविड से बात करेगी।
फोन जया ने ही उठाया था। ‘जया मैं, मैनी!’
जया के कान कुछ सुनने को बेचैन हो रहे थे। उसने जानबूझ कर मैनी को इतने दिनों तक फोन नहीं किया था ताकि मैनी को सोच विचार करने का समय मिल सके। ‘हाँ जी, क्या हो रहा है? बच्चों का क्या हाल है?’
‘बाकी सब तो ठीक है, बस मुझे तुम जिस भँवर में छोड़ गई हो, मैं उस से बाहर नहीं निकल पा रही हूँ।’
‘फिर क्या सोचा है तुमने? गैरी से बात की?’
‘नहीं, गैरी से पहले, मैं कुछ बातें डेविड के साथ करना चाहती हूँ।’
‘ठीक है, कल शाम को डेविड घर पर ही होगा, आ जाओ।’
‘नहीं जया, बात यह है कि मैं डेविड के बच्चे की माँ–मेरा मतलब है कि यदि मैं डेविड के बच्चे को जन्म देने वाली हूँ, तो कम से कम हम दोनों को अकेले में कुछ बातें साफ करनी आवश्यक हो जाती हैं।’ कुछ पलों के लिये सोच में डूब गई जया, ‘ठीक है तुम दोनों अकेले में बातें कर लेना। वैसे भी मुझे रिहर्सल के सिलसिले में जाना था, आने में देर भी हो सकती है।’ आज मैनी ने अपनी सबसे प्रिय ड्रेस पहनी है। बाल भी विशेष रूप से पर्म करवाये हैं और चश्में के स्थान पर कॉन्टेक्ट लेंस लगाये हैं। ईमान डिगाने का पूरा प्रबंध किया है मैनी ने।
‘नहीं मैनी, यह संभव नहीं है। जो तुम कह रही हो वह ठीक नहीं है। फिर गैरी मेरा दोस्त है। उससे छिप कर यह करना मॉरली गलत होगा। मैंने जब से जया के साथ विवाह किया है, मेरे कदम कभी नहीं डगमगाये। तुम बहुत सुंदर हो। कोई भी इनसान तुम्हारे शरीर को पाकर गर्व का अहसास करेगा। पर यहाँ हालात एकदम अलग हैं।’
‘यह तुम किस सदी की बातें कर रहे हो डेविड!’ मैनी का निर्लज्ज अहम् आहत हो गया था–‘मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ। निर्णय तो तुम्हें और मुझे करना है। इसमें जया या गैरी की तो कोई भूमिका है ही नहीं।’
‘मैनी, तुम एक बात भूल रही हो। तुम केवल गर्भवती हो कर मेरे बच्चे को जन्म दोगी। उस बच्चे की माँ तो जया ही होगी। हाँ, हम दोनों तुम्हारा पूरा-पूरा ख्याल रखेंगे, तुम्हें स्नेह देंगे, और इस काम पर होने वाले खर्चे के अतिरिक्त तुम मुझ से जो चाहोगी तुम्हें मिलेगा।’ डेविड ने आगे बढ़ कर एक हलका-सा चुंबन मैनी के होंठों पर अंकित कर दिया। आज पहली बार ऐसा हुआ कि डेविड ने स्वयं मैनी के होंठों को चूमा है। अन्यथा तो मैनी ही ऐसे अवसरों की तलाश में रहती थी। ‘डेविड, क्या यह बच्चा उस एक पल की निशानी नहीं बन सकता जिसकी मुझे एक लंबे अर्से से प्रतीक्षा है? क्या तुम्हारा यह स्नेह, कुछ पलों के लिये ही सही, प्रेम या निर्लज्ज वासना नहीं बन सकता?’
‘मैनी, मैं एक किराये की कोख की तलाश में हूँ, प्रेमिका तो मेरे पास पहले से है। जया से मुझे किसी किस्म की कोई शिकायत तो है नहीं। फिर तुम मेरे मित्र की पत्नी हो। मैं अपने ही मित्र पर वार नहीं कर सकता। हाँ, यह तुम्हारा अहसान होगा हम दोनों पर, इसके लिये हम दोनों, मैं और जया, जीवनभर तुम्हारे ऋणी रहेंगे।’ स्टार, सन, स्पोर्ट्स और डेली मिरर जैसे समाचार पत्र तो डेविड की एक भिन्न प्रकार की छवि दुनियाभर को दिखाते हैं। यह असली डेविड उस छवि से कितना अलग है। समाचार पत्र तो डेविड को कामदेव की तरह प्रस्तुत करते हैं–कभी किसी लड़की को चूमते हुए, तो कहीं अपने नग्न वक्ष दिखाते हुए, कभी लड़कियों से घिरे हुए तो कभी जया के वक्षों पर अपनी दोनों हथेलियाँ रखे। मैनी इस गोरखधंधे को समझ नहीं पा रही है। यदि डेविड अपनी पत्नी के प्रति इतनी गहरी निष्ठा रखता है तो जब बच्चा हो जाएगा तो किस प्रकार का पिता बनेगा! जमाने से एकदम अलग। मैनी सोच रही थी कि वह डेविड को उसकी अनुपस्थिति में जी भर कर कोसेगी। किंतु उसका हृदय इतनी शक्ति बटोर पाने में असफल हो गया। उसे डेविड पर और भी अधिक प्यार आने लगा। लगता है जैसे मैनी ने कोई निर्णय ले ही लिया है।
‘तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया? तुमने यह बात सोची भी कैसे?’
‘अरे डेविड तुम्हारा मित्र है। अगर हम दोनों मिल कर जया और डेविड की सहायता नहीं करेंगे तो और क्या कोई बाहर वाला आ कर करेगा!’
‘हम भी बाहर वाले ही हैं। यह उनका आपसी मामला है। वो जो करना चाहें करें। पर तुम क्यों अपने आप को इन चक्करों में डालती हो?’
‘अपना निजी मामला ही तो लेकर आई थी जया मेरे पास। अगर हम बाहर वाले होते तो हमारे संबंध इतने गहरे कभी न बन पाते।’
‘मैनी, तुम हालात को समझने की कोशिश नहीं कर रही हो। ऑल दिस इज गोईंग टु हर्ट यू। हो सकता है कि तुम इस समय यह सोच कर खुश हो रही हो कि तुम डेविड के बच्चे की माँ बनने वाली हो। मुझे मालूम है कि पूरे इंग्लैंड की कोई भी लड़की या औरत डेविड के बच्चे के लिये माँ बन कर बहुत प्रसन्न होगी। मगर तुम यह नहीं समझ पा रही हो कि यह फैसला तुम्हें किस कदर तोड़ सकता है। बात एक दो दिन की नहीं है। पूरे नौ महीने हमारा सारा घर इस ख्याल के साथ लड़ता रहेगा कि हमारे घर में एक बच्चा आने वाला है जिसका बाप मैं नहीं डेविड है। यह सब इतना आसान नहीं है जितना तुम समझ रही हो।’
‘गैरी, मेरे मन में ऐसी कोई बात नहीं है कि मैं डेविड के बच्चे की माँ बन कर कोई महान काम करने वाली हूँ। बात केवल सहायता की है। मैं जया और डेविड की सहायता करना चाहती हूँ। और तुम तो जानते हो कि जया मेरी कितनी प्यारी सहेली है। वह कार्ल और रीटा को कितना प्यार करती है। और फिर सोचो पूरे देश में उन्हें मेरे अलावा किसी पर इतना विश्वास नहीं है! क्या यह हमारे लिये गर्व की बात नहीं है?’
‘इस झूठी शान और छलावे की दुनिया से बाहर आओ मैनी। तुम जया और डेविड के जीवन के बाहरी ग्लैमर के पीछे बौराई सी फिर रही हो। याद रखो, तुम मेरी पत्नी हो, एक रेल ड्राइवर की, पच्चीस हजार पाउंड सालाना पगार वाला रेल ड्राइवर। हम इस देश के लाखों लोगों से बेहतर जीवन जी रहे हैं। रेल पर कहीं भी जाना हो मुफ्त यात्रा। हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे हैं और मैं उन्हें अच्छे संस्कार देने की कोशिश में हूँ। तुम, बने बनाये घर की नींव हिलाने की कोशिश कर रही हो। बहुत पछताओगी।’
‘तुम भी गैरी! कैसी मिडल क्लास बातें करते हो। तुम सोचो, हमारा बच्चा डेविड की सारी संपत्ति का मालिक बनेगा मेरा बच्चा, हमारा बच्चा!’
‘यही तो समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि वो हमारा तो क्या तुम्हारा बच्चा भी नहीं रहेगा। मैनी, यह सब इतना आसान नहीं होता है। कल जब डेविड तुम से डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करवाएगा कि तुम होने वाले बच्चे से कभी मिलने की कोशिश नहीं करोगी, तुम्हारा उस पर कोई हक नहीं होगा, तुम उसे कभी जताओगी नहीं कि तुम उसकी माँ हो और बात केवल साईन करने की नहीं, जब वह सचमुच तुम्हें उस बच्चे से दूर कर देगा, तब तुम!’
‘तुम देखते रहना गैरी, मैं कैसे हालात को अपने पक्ष में कर लूँगी।’
‘दैन, गो टु हैल!’
हैल! नर्क क्या इसी को कहते हैं। पति और बच्चे छोड़ जाएँ, सभी नाते रिश्तेदार किनारा कर लें और इनसान अँधेरे बंद कमरे में अपने ही अस्तित्व से डरता रहे। यही तो है नर्क की वह आग जिसकी तपिश तो महसूस की जा सकती है पर जो दिखाई नहीं देती है। आज उसे हर आँख यही प्रश्न करती दिखाई देती है कि तुम यह क्या कर बैठी! डेविड तो कह भी रहा था कि तुम अभी तक जीवन की विषमताओं को समझ नहीं पा रही हो। जब सच्चाई सामने आएगी तभी तुम्हें मालूम होगा कि क्या कहाँ खो गया!
‘सच तो यह है मैनी, कि हर समय कुछ ऐसा अहसास होता रहता है कि कुछ न कुछ, कहीं न कहीं खो गया है। एक विचित्र सी कमी महसूस होती रहती है। मैं भी चाहती हूँ कि हमारे घर में भी एक छोटे बच्चे की किलकारियों की आवाज गूँजे, मगर क्या करें!’
‘जया, क्या तुम भी मुझ से ऐसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाओगी कि मैं होने वाले बच्चे से नहीं मिल सकती?’
‘मैनी, भला तुम्हारे और मेरे बीच किसी दस्तावेज की क्या आवश्यकता है? हाँ, डेविड तो गोरा ब्रिटिश है। वह तो हर काम कानूनी ढंग से करने में विश्वास रखता है। अगर उसकी तसल्ली की खातिर कुछ एक जगह दस्तखत करने भी पड़ जाएँ तो क्या फर्क पड़ता है? और इसी बहाने मेरी सहेली को कुछ पैसों की सहायता भी मिल जाएगी। आखिर तुम साल डेढ़ साल की छुट्टी लोगी, तुम्हारा डिलिवरी के दौरान खाने-पीने और डॉक्टर का खर्चा होगा। यह डिलिवरी किसी सरकारी हस्पताल में तो होगी नहीं। इसके लिये तो तुम्हें प्राइवेट नर्सिंग होम में भरती होना पड़ेगा। अब अगर डेविड यह सब खर्चा करना चाहता है तो उसे करने दो न।’ प्राइवेट नर्सिंग होम! आज तो लगता है कि पागलखाने में भरती होना पड़ेगा। कितनी जल्दी सब बदल जाता है। एक अनुभूति के लिये मैनी ने क्या-क्या खो दिया! ‘सरोगेट माँ’ बनने के चक्कर में न वह माँ रह पाई और न ही पत्नी। बस, सरोगेट ही रह गई!
गैरी के बार-बार मना करने के बावजूद मैनी नहीं मानी। कृत्रिम गर्भादान केंद्र पहुँच गई। डेविड के वीर्य और मैनी के गर्भाशय एवं अंडों की जाँच हुई। गैरी असहाय दर्शक बन कर सब देख रहा था। उसे शिकायत भी थी और आक्रोश भी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि मैनी को अपने आप को इस समस्या में उलझाने की आवश्यकता क्या थी। और अब वह पल आया ही, चाहता था, जिसकी मैनी को बेसब्री से प्रतीक्षा थी।
‘मैनी, तुम एक बार फिर सोच लो। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। कहीं ऐसा न हो कि डेविड और जया को खुशियाँ देते-देते तुम्हारे अपने जीवन में से खुशियाँ हमेशा के लिये गायब हो जाएँ।’
‘अब सोचने जैसी स्थिति कहाँ रह गई है, गैरी। अब तो बस मुझे वो काम कर दिखाना है जिससे तुम्हारे मित्र के जीवन में खुशियों की हल्की-हल्की गुलाबी-सी वर्षा होने लगे। जया के चेहरे की उदासी दूर करनी है मुझे।’
‘बात यह नहीं है मैनी, मैं जानता हूँ कि तुम मन ही मन डेविड को चाहती हो। मैं इसे तुम्हारा कुसूर नहीं मानता, पूरे का पूरा देश ही उसका दीवाना है। पर इसका अर्थ यह तो नहीं कि तुम निर्लज्ज हो जाओ।’
‘तुम मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो। मैंने सेक्स के मामले में कभी तुम्हें धोखा नहीं दिया है।’
‘तुमने जीवन में सदा अपनी मनमानी की है और मैं सदा ही तुम्हारी बेहूदगियाँ बरदाश्त करता आया हूँ। इसका कारण यह नहीं कि मैं कोई कमजोर किस्म का इनसान हूँ। इसका कारण केवल इतना ही है कि मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ। मगर याद रखो, हर चीज की एक सीमा होती है मैनी। ठीक उसी तरह मेरे सहने और तुम्हारे बेतुके व्यवहार की भी कोई सीमा होनी चाहिए। तुम अभी भी न कर सकती हो। मुझे अच्छी तरह मालूम है कि एक बार तुम गर्भवती हो गई तो पीछे नहीं हटोगी। इसीलिए बार-बार समझा रहा हूँ कि आत्महत्या जैसी हरकत से बाज आओ।’
‘गैरी तुम सपने नहीं देखते। जागते हुए सपने देखने का आनंद ही कुछ और होता है। जया और डेविड जिस बच्चे को जीवन भर प्यार देंगे, वो बच्चा मेरी कोख से जन्म लेगा। सोच कर ही मन पगला पगला जाता है।’
‘इसी पागलपन से बचने को कह रहा हूँ मैनी।’
किंतु मैनी कहाँ मानने वाली है। वह तो एक स्वच्छंद हवा में उड़ने वाली पक्षी है। आम मनुष्य के नियम उसे कहाँ बाँध कर रख सकते हैं। आम गोरे पुरूषों की तरह गैरी गालियाँ नहीं देता। यदि वह गालियाँ दे पाता तो आज मैनी को गंदी से गंदी गालियों से नवाज देता। वह आजतक मैनी के माता पिता से नहीं मिला। उन्होंने मैनी के प्रेम विवाह के बाद से उन्हें अपने जीवन से निकाल बाहर किया है। मन में विचार आया कि मैनी के पिता से बात करे। किंतु!
आज गैरी अपने ही विचारों से संघर्ष करता हुआ रेलगाड़ी चलाये जा रहा है। सिग्नल का रंग लाल है या हरा, उसे ठीक से सुझाई नहीं दे रहा। बेवन के शब्द उसके दिमाग में बार बार बज रहे हैं, ‘यदि तुम्हारी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है तो काम पर मत जाओ। जरा सी सावधानी हटी और दुर्घटना घटी। और वही हुआ भी। गनर्सबरी से साऊथ एक्सटन के बीच के लाल सिग्नल को नहीं देख पाया और स्पैड हो गया, यानी कि सिग्नल पास्ड एट डेंजर। उसके सात साल की बेदाग ड्राइवरी में एक लाल निशान लग गया। अब साली इंक्वायरी होगी। किसी उल्लू के पठ्ठे को क्या मालूम कि गैरी का तो सारा जीवन ही लाल बत्ती से ग्रस्त हो गया है।
मैनी को गर्भ ठहर गया है। वह प्रसन्न है डेविड खुश है और जया की भावनाओं को तो व्यक्त करने के लिये किसी भी भाषा के शब्दों में सामर्थ्य नहीं है। उन भावनाओं को व्यक्त करने के लिये तो नई शब्दावली बनानी होगी, नये मुहावरे गढ़ने होंगे। मैनी के माध्यम से वह स्वयं गर्भवती हो गई है! और मैनी! अभी तो केवल यह तय हुआ है कि वह गर्भवती है, और उसे अपने भीतर चलता फिरता डेविड महसूस होने लगा है।
‘यदि मैं डेविड के साथ संसर्ग कर भी लेती, तो भी अंततः होना तो यही था। मुझे उसके बच्चे की माँ ही तो बनना था और वह चुंबन जो डेविड ने मेरे होंठों पर अंकित कर दिया था!क्या आज की स्थिति में मैं उसे ब्लैकमेल कर सकती हूँ! क्या उसे मजबूर कर सकती हूँ कि वह मुझ से शारीरिक संबंध बनाये? आज तो उसकी सारी आशाएँ मुझ पर ही टिकी हैं, परंतु डॉक्टर ने तो उसके सामने ही कहा है कि मैं अगले तीन महीनों तक सेक्स से दूर ही रहूँ अन्यथा गर्भ गिरने का डर हो सकता है। मैं तो गैरी के साथ भी कितनी बार धोखा कर चुकी हूँ। रात को बिस्तर में बस आँखें बंद कर के कल्पना कर लेती हूँ कि मैं डेविड की बाँहों में हूँ। डेविड का प्रिय कोलोन कूल वाटर ही गैरी के लिये भी खरीदने लगी हूँ। दोनों के शरीर से एक सी गंध आने लगी है। किंतु फुटबॉल के मैदान में खेल समाप्ति के पश्चात उसके पसीने की गंध तो मुझे दीवाना बना देती है! क्या डेविड मुझे एक गहरा चुंबन भी नहीं दे सकता?’
‘आज खाना नहीं बनाया क्या?’ गैरी की आवाज उसे विचारों की दुनिया से खींच कर ठोस सच्चाई के धरातल पर ला पटकती है। वह अपने विचारों में ऐसी खोई हुई थी कि भोजन तैयार करने का तो ख्याल ही नहीं आया।’
‘गैरी डार्लिंग, मेरी तबीयत आज थोड़ी ढीली लग रही है, पिजा हट से पिजा मँगवा लो न! बच्चों को भी चेंज हो जाएगा।’
‘हमने कल रात भी पिजा ही खाया था, मैनी! तुम तो जानती हो कि मुझे बाहर का खाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता। तुम मेरे मोबाइल पर फोन करके बता देतीं कि तबीयत ठीक नहीं है तो मैं कम से कम आते हुए रास्ते में से कुछ लेता आता। वैसे, मैनी यह रोज-रोज बाहर का खाना हमारे बजट का तो सत्यानाश करेगा ही हमारे परिवार में गलत परंपराओं को जन्म देगा। मुझे तो अपनी माँ का तरीका।’
‘प्लीज गैरी, अब दोबारा शुरू मत करना! पहले ही मेरी तबीयत ठीक नहीं है! तुम तो जानते हो कि इन दिनों में मुझे कितनी उल्टियाँ होती हैं। सारा-सारा दिन परेशान रहती हूँ मैं।’
‘क्यों रहती हो परेशान? किसके लिये? मैंने मना किया था न कि पंगा मत लो! अभी तो कुछ भी नहीं हुआ मैनी, तुम्हारा हठ हमारे सारे जीवन को तहस-नहस कर देगा।’
‘हम कितना बड़ा काम कर रहे हैं गैरी, तुम इस काम की महानता को समझ नहीं रहे।’
‘देखो मैनी, मैं बहुत सीधा सादा आदमी हूँ। मेरी आकांक्षाएँ, इच्छाएँ बहुत सीमित हैं, मुझे महान या भगवान बनने का कोई शौक नहीं है। मैं केवल एक बात जानता हूँ कि तुमने मेरा कहना नहीं माना। बस!’
अब तो यह कलह हर रोज घर में होनी है। किंतु मैनी को अभी भी कहीं अपराध बोध का अहसास नहीं होता है। वह समझ नहीं पा रही कि आखिर उसका पति इतनी छोटी सी बात से इतना परेशान क्यों हो रहा है। फिर हर दोपहर जब जया पहुँच जाती उसका हाल जानने, तो एक बार फिर वह अपने निर्णय पर अडिग-सी खडी हो जाती। आजकल जया उसका बहुत खयाल रखने लगी है। मैनी क्या खायेगी, क्या पहनेगी, कब सोएगी, कब जागेगी, सभी कुछ तो मैनी तय करती है। जया मैनी के लिये मदरकेयर से ढीले गाऊन ले आई है, मैनी के कमरे में सुंदर से बालक का चित्र टाँग दिया गया है। डेविड भी कभी कभी फोन पर मैनी का हाल पूछने लगा है। हैरान हो रहे हैं रीटा और कार्ल!
रीटा और कार्ल सहमे रहते हैं। उनके डैडी और ममी के बीच चलती तकरार पूरे घर को तनावग्रस्त बनाये रखती है। वे हैरान हैं, परेशान हैं, यह सब क्या हो रहा है। दिमाग छोटे हैं, समस्याएँ बड़ी हैं, समझ आए भी तो कैसे? वे दोनों जानने को बेचैन हैं कि उनके माता-पिता को अचानक हुआ क्या है! माँ अचानक बीमार क्यों रहने लगी है, और वो पिता जो माँ के छींकने भर से उसके लिये दवाइयाँ लाने को बेचैन हो उठता था, अचानक उनकी बीमार माँ को डाँटने क्यों लगा है! माँ तो अस्पताल के चक्कर लगा रही है, फिर भी पिता इतना निष्ठुर और कठोर व्यवहार कर रहा है। और माँ को अस्पताल ले जाने के लिये विशेष तौर पर जया आंटी आने लगी हैं।
जया आंटी आजकल कुछ अधिक ही घर में आने लगी हैं। पहले तो केवल उनके लिये उपहार लाया करती थीं, किंतु आजकल तो सब ममी के लिये आता है, कभी खाने के लिये तो कभी पहनने के लिये। ममी के पास तो पहले से ही इतने अधिक कपड़े हैं। और फिर ममी और जया आंटी में आजकल खुसर-पुसर बहुत होने लगी है। दोनों खुल कर बात नहीं करती हैं, बस धीमी-धीमी आवाज में ही बोलती हैं। दोनों बच्चे इस बात से प्रसन्न भी हैं कि दो-तीन बार तो डेविड अंकल भी घर आ चुके हैं। मुहल्ले में भी कार्ल और टीना का रौबदाब बढ़ गया है–आखिर बीफी डेविड उनके घर आता है! इंग्लैंड का सबसे बड़ा फुटबॉल खिलाड़ी उनके घर आता है।
गैरी आजकल घर आने से कतराने लगा है। घर में रहता भी है तो टेलिफोन से चिपका रहता है। गैरी तो ऐसा नहीं था। वह तो सारा समय बच्चों के साथ हँसी ठठ्ठा करने वाला व्यक्ति है। फिर अचानक वह ऐसा व्यवहार क्यों करने लगा है? कल ही उसके मोबाइल फोन पर एक रोमांटिक किस्म का संदेश देखा था मैनी ने। शेरिल! हाँ यही नाम तो था।
‘यह शेरिल कौन है?’
‘कोई नहीं है।’
‘कल तुम्हारे मोबाइल पर उसने दिल का चित्र बना कर संदेश भेजा था कि आई लव यू!’
‘मैंने तो ऐसा कोई संदेश नहीं भेजा न?’
‘यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है। मैं जानना चाहती हूँ कि यह शेरिल है कौन।’
‘कंडक्टर है रेलवे में। स्ट्रैटफर्ड डिपो में काम करती है। और कुछ?’
‘आजकल गाड़ियों में कंडक्टर कहाँ होते हैं? सच सच बताओ, कौन है यह बिच!’
‘जब तुम्हें रेलवे के बारे में कुछ पता नहीं है, तो हर बात में अपनी टाँग मत अड़ाओ।’
‘कोई कुतिया तुम्हें लव मैसेज भेजे तो मैं उसका मुँह नोच लूँगी।’
‘और उसके बाद किसी ऐरे गैरे के लिये बच्चा पैदा करोगी। तुम यह सब नाटक रहने दो। अगर तुम मेरी मर्जी के खिलाफ जा कर डेविड के लिये बच्चा पैदा कर सकती हो, तो तुम्हें मेरे निजी जीवन में दखल देने का कोई हक नहीं बनता। मैं तुम्हें ऐसा हरगिज नहीं करने दूँगा।’
‘तुम्हारा निजी जीवन! इस परिवार के अलावा तुम्हारी पर्सनल लाईफ है क्या गैरी?’
‘डोंट फक माई लाईफ ऐनी मोर, मैनी! मैं पहले ही तुमसे बुरी तरह तंग आ चुका हूँ। तुम्हारे जैसी बददिमाग और बदमिजाज लड़कियाँ ही अपने पति का जीवन नरक बना देती हैं। अपनी इस जिद की तुम्हें कीमत चुकानी पड़ेगी, मैनी।’
‘तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते!’
‘मैं! मैं तुम्हारे साथ इससे बहुत ज्यादा कर सकता हूँ मैनी। बेहतर यही होगा कि तुम अपनी जिंदगी जियो, और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो।’
‘किंतु हमारे बच्चे? उनका क्या होगा?’
‘तुम बच्चों का नाम लेकर मुझे इमोशनली ब्लैकमेल करने की कोशिश न करो। वो मेरी जिम्मेदारी हैं। मुझे अच्छी तरह से मालूम है कि उनका ध्यान कैसे रखना है।’
‘गैरी, प्लीज!’
‘शटअप मैनी! यू आर अ डर्टी बिच! यू वोन्ट अन्डरस्टैंड लाईफ एट ऑल!’
आज मैनी डर गई है। घबरा गई है! क्या गैरी उसे छोड़ने के बारे में सोच रहा है? क्या सचमुच उसका शेरिल के साथ लफड़ा चल रहा है? उसने तो साफ साफ लिखा है कि वह गैरी को गर्म-गर्म चुंबन भेज रही है! बेशरम! उसे मेरा गैरी ही मिला है? रेलवे में और भी तो कितने कुँवारे ड्राइवर हैं। फिर मेरा गैरी ही क्यों?
क्या गैरी सचमुच मुझ से नाराज है? क्या उसे मनाया नहीं जा सकता। दरअसल मैंने भी तो उसे मनाने का ठीक से प्रयास नहीं किया। बस शेरिल का नाम लेकर कटघरे में खड़ा कर दिया, भिड़ गई उससे। आज रात उसे मनाने का प्रयास करूँगी।
‘गैरी तुम्हें याद है जब कार्ल होने वाला था तो हम किस तरह अपनी सेक्सुअल जरूरतें पूरी किया करते थे। कितनी मुश्किल हुआ करती थी!’
‘………!’
‘गैरी, सो गए क्या?’
‘मैनी, अब मेरी इन बातों में कोई रुचि नहीं है। तुमने मेरी इच्छा के विरुद्ध जाकर डेविड का बच्चा पैदा करने का निर्णय लिया है। मैं इस पूरे तामझाम में तुम्हारे साथ नहीं हूँ। वो बच्चा तुम्हारे भीतर कहीं हिलता है तो मेरा पूरा वजूद सुलगने लगता है। मैंने तुम्हें क्या नहीं दिया मैनी? क्या नहीं दिया तुम्हें? मेरे प्यार में, मेरे समर्पण में क्या कमी रह गई थी मैनी? तुम्हारे और मेरे बीच कभी कोई दूसरी औरत आई थी मैनी? फिर यह बच्चा कैसे आ गया मैनी, क्यों आ गया? तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया मैनी? आग लगा दी है तुमने इस घर की खुशियों में!’
गैरी मुँह फेर कर सो गया है। मैनी का प्रयास विफल हो गया है। क्या उसका दांपत्य जीवन भी ऐसे ही करवट बदल कर सोने वाला है? क्या उसका अपना गैरी पराया होने वाला है। अब तो केवल सुबह की प्रतीक्षा करनी होगी, सुबह डेविड और जया आने वाले हैं। अब तो डिलिवरी का समय भी निकट आता जा रहा है। डेविड ने अनुबंध की शर्त के अनुसार पचास हजार पाउंड मैनी के बैंक खाते में जमा करवा दिये हैं। गैरी को अभी तक कुछ मालूम नहीं। गैरी को बताये या ना बताये? अगर यह मुझे कल को छोड़ गया? या फिर इन पैसों के लालच में ही रुक गया! अभी तो प्रतीक्षा करना ही उचित दिखाई देता है।
मैनी की बीमारी का वास्तविक आनंद तो कार्ल और रीटा ही उठा रहे हैं। हर रोज भोजन किसी न किसी रेस्टोरेंट से मँगा लिया जाता है। कभी कढ़ाई किंग से तंदूरी चिकन और सीक कबाब, तो कभी सैम चिकन या फिर पिजा हट या बरगर किंग या फिर केंटकी शईड–बस मौज मस्ती की बेला!
सोचग्रस्त है तो केवल गैरी। उसे बचपन से ही भारतीय मूल की लड़कियाँ ही पसंद आती हैं। उसे गोरी चमड़ी हमेशा ही बदरंग और बेजान सी लगती है।
‘जानते हो गैरी, भगवान एक बहुत बड़ा बेकर है यानी कि कुकीज बनाता है यानी कि बिस्कुट। जो कुकीज जल गईं, वो तो उसने अफ्रीका में भेज दीं, जो कच्ची रह गईं वो सब यहाँ यूरोप में हैं और जो एकदम सही बनीं वो हम भारतीय हैं। तुम गोरे लोग भी नंगे पंगे हो कर, लाखों अरबों पाउंड के लोशन लगा लगा कर सूर्य के नीचे लेट कर टैंनिग कर कर के हम जैसी चमड़ी बनाने का प्रयास करते हो और जो अफ्रीकी हैं वो भी फेयर एंड लवली लगा लगा कर हम जितना गोरा होने की कोशिश में जुटे रहते हैं।’ खिलखिला कर हँस पड़ी थी मैनी।
गैरी की प्रेमिका ने हँसी हँसी में ही इतनी गहरी बात कह दी थी। गैरी को समझ में आ गया कि क्यों उसे भारतीय लड़कियाँ ही सुंदर लगती हैं। जब से सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय विश्व सुंदरियाँ बनी हैं उसके विचारों को और अधिक बल मिल गया है। उससे गलती कहाँ हो गई है। जब वह अपनी मैनी को पूर्ण रूप से समर्पित है, वह अपने मित्रों के साथ पब तक नहीं जाता, क्योंकि उसे मैनी के बिना अकेले कहीं भी जाना अच्छा नहीं लगता है, तो फिर मैनी ने ऐसा क्यों किया?
कल रात जब वह काम से लौटा तो उसके मन में छुपे मैनी के प्रति प्रेम ने हुलारा लिया और वह बिस्तर में मैनी के पास पहुँच गया। ‘नहीं गैरी, मेरी तबीयत ठीक नहीं है। वैसे भी बहुत इनकॉन्वीनियेन्स होगी।’
गैरी उठ कर नीचे बैठक में पहुँच गया। वहीं विडियो में ब्लू फिल्म लगा कर, शराब का गिलास भर कर बैठ गया। वह ब्लू फिल्म भी वही लाता था जिसमें भारतीय लड़कियाँ होती हों, फिर भी दिमाग को चैन नहीं मिल रहा था। जया और डेविड उसे परले दरजे के मक्कार लग रहे थे। उसकी भोली भाली मैनी को फँसा लिया। क्या उसे मैनी पर नाराज होना चाहिए? क्या सचमुच कुसूर उसी का है? कहीं वह भी किसी चाल का शिकार तो नहीं है? अचानक फिल्म में एक चेहरा थोड़ा जाना पहचाना सा लगा। अरे, यह तो बिलकुल उसकी एक गार्ड से मिलता जुलता चेहरा है, क्या नाम है उसका, नीना! शेरिल उसे लिफ्ट अवश्य देती है, किंतु वह अपने मन का क्या करे जो कि भारतीय चमड़ी को ही प्यार करना चाहता है। नीना तो बता रही थी कि वह तलाकशुदा है। शादी के दो वर्ष बाद ही तलाक हो गया था। नीना के सपने देखता, शराब के नशे में चूर गैरी वहीं सोफे पर ही लुढ़क गया।
पचास हजार पाउंड की गर्मी के बावजूद मैनी के भीतर तक ठंड भरी हुई है, डर गई है वह। गैरी अब मैनी से बिलकुल बात नहीं करता। अपना भोजन स्वयं बना लेता है या फिर बाहर से खा कर ही आता है। जब नीना का फोन पहली बार घर पर आया तो मैनी चौंकी। शेरिल से छुटकारा पाना इतना मुश्किल नहीं था, पर भारतीय लड़की तो गैरी की कमजोरी है। आज तो मैनी भी मन ही मन वाहे गुरु से चलीहे की मन्नत मान रही है कि उसके गैरी को नीना से बचा ले। संस्कारों से बच पाना इतना ही आसान है क्या? मैनी और चलीहे की बात!
डिलवरी को अभी तीन महीने बाकी हैं। रीटा और कार्ल तो नॉर्थविक पार्क हस्पताल में ही पैदा हुए थे। अबकी बार तो मैनी प्राइवेट नर्सिंग होम का आनंद उठा रही है। उसे आज भी वो कैलेंडर याद आ रहा है जो उसके पिता भारत से लाये थे, शायद मर्फी रेडियो का कैलेंडर था। उसमें एक बेहद खूबसूरत बच्चा बना हुआ था, बच्चे ने अपने बायें हाथ की उँगली अपने होंठों पर रखी हुई थी। उसके बाल लंबे थे, जैसे अभी मुंडन हुए ही न हों। कुछ ऐसा ही बच्चा वह डेविड को भेंट करना चाहती है। फिर सोचती है, चलो मान भी लें कि डेविड इतना क्रूर हो जाए कि उसे बच्चे से मिलने न दे, किंतु उस बच्चे के चेहरे में क्या उसे मेरा चेहरा नहीं दिखाई देगा!
जैसे जैसे डिलिवरी का समय निकट आता जा रहा था, जया और डेविड मैनी के निकट आते जा रहे थे और गैरी गैर बनता जा रहा था। कार्ल और रीटा भी मैनी के बिना जीने के आदी बनते जा रहे थे। टेलिविजन में कार्टून नेटवर्क, एमटीवी और साथ में चिप्स या पॉप कॉर्न! बस यही तो कर रहे थे।
फिर एक रात अचानक मैनी को पेट में दर्द उठा। दर्द इतना अधिक था कि उसे अपने किये पर आश्चर्य करने का भी अवसर नहीं मिला। गैरी को उठाने के स्थान पर उसने जया को फोन किया। उसके फोन नीचे रखते रखते ही जया और डेविड वहाँ पहुँच गए थे। गैरी तो शराब के नशे में धुत गहरी नींद सो रहा था।
पुत्र पैदा हुआ था। ‘अरे यह तो हू-बहू तुम्हारी शक्ल की कार्बन कॉपी लग रहा है।’ जया अपनी प्रसन्नता रोके नहीं रोक पा रही थी।
मैनी को कहाँ मालूम था कि उसका जीवन भी अब असली जीवन की कार्बन कॉपी बनने जा रहा है। मूल प्रति तो कहीं खो जाने वाली है। और यह कार्बन कॉपी भी सत्यापित प्रति नहीं है। कार्बन भी मुड़ा तुड़ा है, कॉपी पर सिलवटें साफ दिखाई दे रही हैं।
‘जया, कहाँ है बच्चा? मुझे भी तो देखने दो न कैसा लगता है।’
‘वो क्या है कि अभी जेफ सो रहा है। जब जागेगा तो तुम्हारे पास ही तो लाएँगे।’
‘तुमने उसका नाम भी रख लिया?’
‘नाम तो उसके पैदा होने से पहले ही रख लिया था। डेविड के दादा जी के नाम पर रखा है।’
‘मुझसे तो कभी बात भी नहीं की!’
‘मैनी तुम आराम करो! तुम्हें आराम की जरूरत है।’
मैनी आराम ही करती रह गई। कब डेविड और जया अपने जेफ को ले कर चले गए, उसे तो पता भी नहीं चला। अब डेविड तो डेविड, जया भी टेलिफोन पर बात करने के लिये नहीं आ रही थी। दोस्ती प्रगाढ़ होने के स्थान पर सदा के लिये समाप्त हो गई! मैनी को समझ ही नहीं आया कि उसका कसूर क्या है।
थकी हारी मैनी हस्पताल से मिनि कैब ले कर घर पहुँची तो घर में कोई नहीं था। उसने अपने पर्स से चाबियाँ निकाल कर दरवाजा खोला। घर में एक वीरान, भयभीत कर देने वाली चुप्पी छाई हुई थी। गैरी अवश्य ही कार्ल और रीटा को बाहर ले गया होगा–शायद मैकडॉनल्ड तक!
मैनी जी खोल कर कोकाकोला की बोतल निकालती है और गिलास में डाल कर एक घूँट भरती है। ‘अरे हमारी मैनी घर आ गई। देखो तो कितना प्यारा बेटा है हमारा! हमारा कार्ल बड़ा हो कर पायलट बनेगा। बाप रेलगाड़ी चलाता है तो बेटा हवाई जहाज चलाएगा!’
यादों की दुनिया से सच्चाई के संसार में वापिस लौट आती है मैनी। टेलिविजन पर कुछ पत्र रखे हैं। सबसे ऊपर गैरी के हाथ से लिखा रूक्का है। वह अपने दोनों बच्चों को लेकर नीना के साथ रहने चला गया है। अब उसे मैनी में कोई दिलचस्पी नहीं रही। उसने लिखा है कि उसे वापिस बुलाने की कोशिश बेकार होगी। अब मैनी चाहे तो अपनी कोख को किराये पर देने का धंधा शुरू कर सकती है। बहुत से ग्राहक मिल जाएँगे।
मैनी एक बार फिर जया को फोन मिलाती है। इस बार जया फोन पर बात करने के लिये आ जाती है, ‘देखो मैनी, मैं आज तक तुम्हें साफ साफ कहने से बचती रही कि तुम्हारा दिल टूट जाएगा। नाऊ यू मस्ट रीयलाईज कि जेफ हमारा बेटा है, मेरा और डेविड का। हम दोनों अपने बच्चे से बेहद प्यार करते हैं। अगर तुम हमारे बच्चे से मिलोगी तो हमलोग के बीच कंपलीकेशन्स बढ़ेगी। हम सब के लिये बेहतर यही है कि तुम अपना जीवन जियो और हम अपना जियें। ठीक है कि हमने अपने बच्चे के लिये तुम्हारी कोख का इस्तेमाल किया है, पर उसका पूरा किराया भी तो हमने दिया है!’
कोख का किराया! क्या यही औकात है मैनी की? जेफ जया और डेविड के पास है और गैरी अपने बच्चों समेत नीना के पास। मैनी की चारों ओर सन्नाटे से भरी चीखती दीवारें हैं।
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Artist : Arshile Gorky
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