बाजार

बाजार

भारतीय प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल करने की खबर फैलते ही रमेश के घर पर बधाई देने वालों का ताँता लगा था। रमेश के पिता दरवाजे पर खड़े होकर परिचितों-अपरिचितों से बधाई स्वीकार करने में व्यस्त थे। उसी वक्त एक नौजवान किंचित मुस्कान बिखेरते हुए सामने आ खड़ा हुआ और अति विनम्र भाव से बोला–‘जी, मैं एक प्रतिष्ठित प्रतियोगी पत्रिका ‘सफलता की गारंटी’ का संपादक हूँ। रमेश जी से इंटरव्यू करना चाहता हूँ।’

तभी रमेश दरवाजे पर आकर बोला–‘क्यों नहीं…यहाँ आइए बरामदे में बैठकर बात की जाए।’

‘धन्यवाद…’ कुर्सी पर बैठते हुए संपादक ने कहा–‘मगर एक शर्त है।’

‘वो क्या?’ रमेश ने तनिक आश्चर्य से पूछा।

‘जी शर्त यह है कि आप इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार करेंगे कि आपने मेरी पत्रिका पढ़कर ही इतनी बड़ी कामयाबी पाई है।’

रमेश ने इस बार घोर आश्चर्य और घबराहट से उसकी तरफ देखा।

‘घबराएँ नहीं रमेश बाबू, इसके लिए मेरी पत्रिका की ओर से आपको बड़ी रकम…।’

रमेश मुस्कुराया। कतिपय घिसे-पिटे प्रश्नों के साथ इंटरव्यू चल ही रहा था कि लग्जरी कार से एक अधेड़ उतरा और रमेश के निकट बैठते हुए बोला–‘बधाई हो रमेश जी, आपने आई.ए.एस. में कामयाबी हासिल करके इस सूबे का नाम रौशन किया है।’

‘वो…वो तो ठीक है लेकिन आपका परिचय…?’

‘जी, जी मैं इस शहर के मशहूर कोचिंग संस्थान ‘हाई-फाई-सक्सेस’ का डायरेक्टर हूँ। यदि आप इंटरव्यू में, ‘हाई-फाई सक्सेस’ कोचिंग को अपनी सफलता का श्रेय देंगे तो…।’

‘तो आप हमें एक बड़ी रकम देंगे।’

‘जी-जी हाँ, आपने सही समझा…।’

रमेश के चेहरे का तनाव बढ़ गया। उसे ऐसा लगा कि शिक्षा के बाजार में वह एक बिकाऊ सामान में तब्दील होता जा रहा है।


Image :Red haired young man
Image Source : WikiArt
Artist :Amedeo Modigliani
Image in Public Domain

रामयतन यादव द्वारा भी