सुनहला अवसर

सुनहला अवसर

‘कल तुम्हारे इलाके की कुछ झुग्गी-झोपड़ियों में आग लग गई थी।’

‘जी सर’

‘उस वक्त तुम घटना स्थल पर थे या नहीं?’

‘जी…जी सर’

‘कुछ फोटोग्राफ्स और रिपोर्ट लाये हो?’ मुख्य संपादक ने उत्साह भाव से पूछा।

लेकिन रिपोर्टर को काटो तो खून नहीं। उसने अपने सूखे होंठों पर जीभ फिराते हुए बोला–‘सर मैं घटना स्थल पर तो फौरन पहुँच गया था लेकिन…’

‘लेकिन क्या?’

‘ले…लेकिन सर बात ये हुई कि मैं जैसे ही घटना स्थल पर पहुँचा…सर वहाँ एक बच्चा आग में झुलस कर तड़प रहा था…मुझसे रहा नहीं गया उसे उठाकर तत्क्षण अस्पताल की तरफ भागा…फिर तो मैं फोटो खींचना और रिपोर्ट लिखना भूल ही गया।’ उसने मायूस लहजे में कहा।

संपादक ने अफसोस के साथ खिचड़ी दाढ़ी के बालों को सहलाया। बोला–‘तुम इस लाइन में नया आए हो, वरना जलते-भागते लोगों की तस्वीरों के साथ आज प्रथम पेज पर तुम्हारे नाम से एक बड़ा रिपोर्ट छपता…मतलब एक सुनहला अवसर तुम्हारे हाथ से निकल गया।’

उदास मन वह संपादक के कमरे से बाहर आ गया और सोचने लगा कि उसके लिए सुनहला अवसर क्या था, एक बच्चे को तत्क्षण अस्पताल पहुँचाकर जिंदगी देना या फिर आग में झुलसते बच्चे की तसवीर को न्यूज बनाकर बेचना।


Image :A Cottage on Fire
Image Source : WikiArt
Artist :Joseph Wright
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रामयतन यादव द्वारा भी