श्राद्ध
- 1 June, 2016
शेयर करे close
शेयर करे close
शेयर करे close
- 1 June, 2016
श्राद्ध
वह लौटी तो निराश थी। कल उसे अपने पति का श्राद्ध करना है। वह पंडित को भी न्योत आई है, पर अब तक एक पैसा भी पल्ले नहीं है। किसी ने उसे एडवांस भी नहीं दिया। वह चटाई पर लेटे-लेटे इस धर्म संकट से निकलने की जुगत में थी। इतने में दयावती आ गई। उसने उठते हुए पूछा, ‘कुछ जुगाड़ बना या नहीं?’
‘बड़ी मुश्किल से कपूर औरों से तीस रुपये एडवांस दिए, जैसे बहुत बड़ा अहसान कर रहे हो।’ दयावती ने माँ को पैसे दिए, तो माँ के मुँह से घड़े के पानी जैसा ठंडा श्वास निकला। अगले ही पल बोली, ‘ये मुझे क्या दे रही है, जाके रामजीवाले को कह, पंडित को खीर-पूरी खिलानी है–सामान दे देवे। कम पड़ें तो कहियो, फिर दे देंगे, भागे नहीं जा रहे।’
दयावती के मन में सवाल था–अपनी दो वक्त की रोटी का तो जुगाड़ नहीं और पंडित को खीर-पूरी खिलाएँ। दुविधा में पड़ी वह जाने लगी, तो कोने में लेटे हुए भाई की तरफ उसका ध्यान चला गया। चादर हटाकर उसका गाल छुआ। वह तप रहा था। ‘हाय राम! इसे तो अभी तक बहुत तेज बुखार है, तवे जैसा तप रहा है। कुछ दवाई लेके नहीं दी?’
‘खैराती हस्पताल से पर्ची बनवाई थी। पैसे ही न थे तो दवा कहाँ से लाती? तू जा, मैं पानी की पट्टी कर दूँगी।’ दो दिन पानी की पट्टी करने से ठीक न हुआ, तो अब कहाँ से हो जाएगा? सोचते-सोचते दयावती के मन में दोतरफा हवाएँ टकराने लगीं। वह दोनों की ताकत का जायजा लेने लगी।
माँ की बात ने उसे झिंझोड़ा, ‘अब जा भी जल्दी, देखती क्या है? फिर तैयारी में भी टैम लगेगा।’ दयावती ने माँ से पूछा, ‘श्राद्ध करना क्या बहुत जरूरी होता है?’
‘तेरा दिमाग घूम गया है क्या? सारे मुहल्ले वाले लीतरनी मारेंगे? और तेरा बाप भी कह गया था कि श्राद्ध जरूर करना। उसकी आखिरी इच्छा भी पूरी न करें?’
‘वो सब बाद में देख लेंगे। अभी तो इसको दवा की जरूरत है, कम से कम जिंदा को तो पहले बचा लेवें।’ कहकर दयावती ने माँ की आँखों में झाँका। वहाँ एक संकट आ खड़ा हुआ था।
‘तू देख ले फिर, उसकी आत्मा भटकती रहेगी, मुझे कोसती रहेगी…।’
दयावती ने भाई की चादर हटाते हुए माँ से पूछा, ‘ये बता, इसमें आत्मा नहीं है क्या? अगर इसे कुछ हो गया तो?’ कहते हुए दयावती ने आले में रखी दवा की पर्ची खोजी और मजबूत कदमों से बाहर निकल गई।
Image : Out in the cold
Image Source : WikiArt
Artist : Léon Bazile Perrault
Image in Public Domain