अंतर

अंतर

ऑफिस से लौटने के बाद शरद कुमार अपने बड़े बेटे पर बिगड़ पड़े–‘तुम मेरे ऑफिस के चपरासी रघुआ के बेटे रामू से दोस्ती करते हो? उसके साथ रहने में तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती?’ 

‘डैडी, ऐसी क्या बुराई है, रघुआ के बेटे रामू में?’

‘बुराई रघुआ के बेटे में नहीं, रघुआ में है!’

‘इसलिए कि वह गरीब है, चपरासी है और आप चीफ इंजीनियर हैं, अमीर हैं?’

‘बात सिर्फ इतनी सी रहती तब भी चल जाती। मगर तुम्हारे दोस्त रामू का बाप रघुआ तो एक नंबर का शराबी है। झोपड़-पट्टी में जाकर शराब पीता है। रात-रात भर गाँव में जाकर रंडी का नाच देखता है!’

‘आप भी तो शराब पीते हैं! नाच देखते हैं! आधी-आधी रात को अपने क्लब से घर पर आते हैं। आपको तो कभी बुरा नहीं बोला रामू के बाप ने?’

‘चौप्प! मुझसे बहस लगाता है? अपनी माँ की तरह मुझसे ज़ुबान लड़ाता है? तुझमें इतनी भी समझ नहीं कि वह शराब पीता है, जबकि मैं व्हिस्की यानी स्कॉच पीता हूँ!… और…और रमुआ सस्ता नाच देखता है…और मैं देखता हूँ बड़े-बड़े क्लबों…बड़े-बड़े 5 स्टार होटलों में कैबरे डांस…! 

…तुझे देशी और विदेशी में, कुछ भी अंतर नजर नहीं आता? रमुआ और मुझमें, रामू और तुझमें कोई अंतर नजर नहीं आता तुझे?’ 

‘हाँ, अंतर नजर आता है डैडी! रमुआ बाप है और आप डैडी…! रामू देशी है और मैं विदेशी!!’


Image : Boys With Mastiff
Image Source : WikiArt
Artist : Francisco Goya
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सिद्धेश्वर द्वारा भी