शोक संदेश

शोक संदेश

‘हैलो टीना, मैं ऑली बोल रहा हूँ…ऑलीवर।’

‘अरे भाई, कैसे हो। आज इस वक्त याद किया! तुम तो आमतौर पर रात के नौ-साढ़े नौ तक सो जाते हो।’

‘बात ही कुछ ऐसी है।… दरअसल जॉर्ज का फोन आया था।’

‘जॉर्ज कौन?’

‘मुझे पक्का यकीन था कि तुम पहचान नहीं पाओगी। वो लूसी और एलन का बेटा है। बार्कलेज में काम करता है। साउथ लंदन में रहता है।’

झटका सा लगा टीना को। वह सोच भी नहीं सकती थी कि जॉर्ज भी ऑली को या उसे फोन कर सकता है। उससे कभी कोई रिश्ता ही नहीं रखा था तो भला वो फोन क्यों करेगा! वैसे उसे जानने में रुचि भी नहीं थी कि जॉर्ज ने क्यों फोन किया था। जब लूसी से ही कोई रिश्ता नहीं तो भला जॉर्ज से कैसा संबंध! ‘उसने फोन किया है तो कुछ खास ही होगा। क्या कह रहा था?’

‘मैं तो खुद हैरान था। फिर मैंने सोचा कि शायद सेहत के बारे में जानकारी चाह रहा होगा। तुम्हें पता है अब तक साढ़े दस हजार लोगों की जान जा चुकी है। पचासी हजार लोगों को लग गया है यह रोग!’

मैंने भी न्यूज में देखा। बॉरिस तो ठीक हो कर वापिस आ गया। पता नहीं उसे कैसा स्पेशल इलाज मिला कि ठीक हो गया। बाकी के दस हजार लोगों को वही इलाज क्यों नहीं मिला…? अरे हाँ, जॉर्ज कह क्या रहा था?’

‘तुम ऐसा करो कि कल चार बजे के करीब यहाँ आ जाओ। दोनों कॉफी भी साथ पिएँगे और बातचीत भी करेंगे। जॉर्ज कैन वेट टिल टुमॉरो…।’

‘सुनो, मेरे घर के पास ही मार्क्स एंड स्पेन्सर है। कुछ चाहिए हो तो सुबह तक व्हाट्सएप कर देना। जब मैं निकल ही रही हूँ तो तुम्हारे लिए भी शॉपिंग कर लूँगी। फिर तुम घर से क्यों निकलो।’

‘वैसे तो मैंने परसों ही शॉपिंग की थी। फिर भी कुछ याद आया तो व्हाट्सएप कर दूँगा। तुमने देखा कि लोगों ने कैसे पागलों की तरह टॉयलेट पेपर, एंटी-बैक्टीरियल जेल और साबुन खरीदे हैं। सुपर मार्केट की शेल्फें पूरी तरह से खाली कर दी हैं। इनसान कितना सेल्फिश हो जाता है।’

‘पागलों की कोई कमी थोड़े ही है। एक ढूँढ़ो हजार मिलते हैं। मुझे लगता है ब्रिटेन अब वो ब्रिटेन नहीं रहा। लंदन का तो पूरा कैरेक्टर ही बदल गया है। कुछ इलाकों को देख कर तो लगता ही नहीं कि हम इंग्लैंड में खड़े हैं। मल्टी कल्चर…माई फुट!’

‘तो चलो, फिर कल मिलते हैं।… अरे हाँ, अगर कॉफी के साथ स्कोन खाने का दिल हो तो मार्क्स से ले आना।’

ऑलीवर और टीना का भाई बहन का रिश्ता बहुत मजबूत है। उनका लालन-पालन नाना-नानी के यहाँ हुआ। दोनों की तबीयत इस मामले में मिलती थी कि जो मिल जाता उसी से संतुष्ट हो जाते। कभी पलट कर कुछ अतिरिक्त की माँग नहीं करते। ऑलीवर उम्र में टीना से तीन साल बड़ा है। मगर टीना के मुकाबले उसके भीतर एक बच्चा कहीं अधिक मौजूद है। उसने लूसी को कभी माफ नहीं किया। हालाँकि कुसूर एलन का भी उतना ही था। मगर लूसी के कसूर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सवाल तो कौलिन के व्यवहार पर भी उठेगा। आखिर कौलिन ने अपने बच्चों से क्यों मुँह मोड़ लिया। उसने कितनी आसानी से अपनी सारी जिम्मेदारी दूसरों के कंधों पर डाली और स्वयं गायब हो गया। न मालूम वो जिंदा भी है या मर गया। जब लूसी 70 की हो कर मरी है तो कौलिन तो 75 से ऊपर का होगा। शायद कहीं मर खप गया होगा। ऑलीवर को आज की रात बहुत डरा रही है। रात का भोजन कर चुका है। पत्नी लिली उसे देख कर परेशान हो रही है। उसने अपने पति को इतनी टेंशन में कभी नहीं देखा। वह तो हर वक्त चेहरे पर मुस्कान लिए रहता है। कोरोना वायरस भी उसकी जिंदादिली में छेद नहीं कर पाया। फिर ऐसा क्या हो गया है? आखिर वो किसका फोन था जिसे सुनने के बाद ऑलीवर अब तक जाग रहा है?

‘ऑली, मामला क्या है? तुम इतने परेशान क्यों हो? आखिर कुछ तो शेयर करो मुझ से।’

‘लिली मेरे जीवन का एक ऐसा हिस्सा अचानक मेरे सामने जिंदा हो गया है जिसे मैं बरसों पहले दफन कर चुका था। इस औरत की मौत ने मेरे दिल में तूफान खड़ा कर दिया है। यह सिर्फ एक औरत नहीं थी। इसका मेरी जिंदगी से बहुत गहरा नाता रहा है। मैंने अपने जीवन के इस रहस्य को कभी तुम्हारे साथ भी साझा नहीं किया। यह औरत कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक थी। उससे भी अधिक बेदर्द। इसने हमें जिंदा भी रखा और मौत का अहसास भी करवा दिया।’

‘मुझ से कुछ शेयर करो न। क्यों अंदर-ही-अंदर जले जा रहे हो? आखिर कौन है यह औरत?’

‘लिली, तुम सो जाओ। कल चार बजे टीना आएगी। मैंने उसे अकेले आने को कहा है। जब वह आए तो तुम बच्चों के साथ उनके कमरे में रहना। या अपने घर के गार्डन में कुछ समय बिता लेना। यह मसला सिर्फ और सिर्फ हम दोनों भाई बहन का है।’

आजकल बच्चे और लिली वैसे भी घर से बाहर कम ही निकलते हैं। घर में सबके लिए ग्लव्ज, मास्क, एंटी-बैक्टीरियल जेल का इंतजाम है। ऑली डरता है कहीं उसका परिवार भी बस एक संख्या न बन जाए। एक दिन अखबार में खबर छपे कि रात को 915 लोग और मारे गए। और उन 915 में से चार लोग उसके अपने परिवार के भी हों। उनके शरीरों को दफनाने के लिए भी कोई नहीं मिलेगा। बेचारी टीना तो हमारे कोरोनाग्रस्त शरीरों को छूने से भी डरेगी…और फिर क्यों न डरे! वैसे उसने अपनी वसीयत में लिख दिया है कि उसे और उसकी पत्नी को मरने के बाद जलाया जाए। उसे क्रिमेशन एक साफ सुथरा सिस्टम लगता है। दफनाने के विरुद्ध वह हमेशा बहुत से तर्क देता रहता है।

दिमाग में एक विचार भी आता है–‘क्या मरने से पहले लूसी ने एक बार भी अपने अतीत के बारे में सोचा होगा? क्या उसके मन में यह विचार आया होगा कि उसे किसी से माफी माँगनी है? क्या केवल माँगने भर से उसे माफी मिल जाती। उसके गुनाह की तो कोई माफी हो ही नहीं सकती। यदि उसका बेटा जॉर्ज भी जज होता तो भी शायद लूसी को सजा-ए-मौत ही मिलती।’

सोचता है कल बहन को यह समाचार कैसे देगा। क्या उसके मन में भी लूसी के लिए इतनी ही नफरत है जितनी कि ऑली के दिल में? क्या एलन जिंदा है? जाहिर है कि एलन यदि मर भी गया होगा तो जॉर्ज हमें क्यों सूचित करना चाहेगा। आज दुनिया सोशल-डिस्टेंसिंग की बात कर रही है। मगर लूसी ने तो कब से हम दोनों से फिजीकल दूरी बना ली। हमें छोड़ गई दूसरों के सहारे। कल टीना के साथ सभी विषयों पर बात करेगा।

रात बीत गई।… क्या जरूरी है कि रात को नींद आए ही?… रात और नींद का क्या रिश्ता है? रात तो करवटें बदलते भी गुजर सकती है। अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था और हैरानी भी हो रही थी…उसे बचपन का कोई ऐसा पल याद नहीं आ रहा था जिसके फ्रेम में लूसी उसके साथ खड़ी हो। घर में कोई ऐसी फोटो भी नहीं है जिसमें लूसी या कौलिन उसके और टीना के साथ खड़े हों। यादें बस अपने नाना-नानी के पास पहुँच कर दम तोड़ देती हैं।

नाना-नानी ही उन्हें स्कूल ले जाते थे। कई बार उन्होंने पूछा भी कि सबके मम्मी-डैडी होते हैं, फिर उनके मम्मी-डैडी कहाँ हैं। मगर नाना-नानी बस प्यार से उन्हें बहला देते। उन्होंने ही ए-लेवल और यूनिवर्सिटी की पढ़ाई करवाई। आज ऑलीवर वकील है और टीना फिटनेस ट्रेनर। टीना हमेशा अपनी सेहत और फिगर को लेकर बहुत सतर्क रहती थी। उसे देख कर कोई नहीं कह सकता कि दो बेटियों की माँ है। ऑलीवर और टीना को अपना-अपना परिवार बहुत ही प्रिय है। वे कभी भी अपने-अपने पार्टनर से झगड़ा नहीं करते…अपने बच्चों को पूरा स्नेह, दुलार और प्यार देते हैं। जिस चीज की कमी उन्हें सारी उम्र सालती रही, उन्होंने अपने बच्चों को कभी उसे महसूस नहीं होने दिया।

आज शायद पहली बार है कि ऑलीवर अपनी पत्नी के साथ बिस्तर पर जाकर नहीं सोया…सोने को जी नहीं चाह रहा। लिली भी बेहतरीन पत्नी है। पलक झपकते ही समझ गई कि मामला गंभीर है। उसने एक बार भी जोर देकर पति को कुरेदा नहीं। पति ने कह दिया कि मसला भाई-बहन का निजी मामला है। तो बस उसे कुछ नहीं कहना है। दोनों एक दूसरे के प्रति इतने समर्पित हैं कि अविश्वास के लिए कोई स्थान ही नहीं है।

सुबह ऑलीवर के मुँह का स्वाद कुछ कसैला-सा था। रात नींद न आना ही इसका कारण होगा। ब्रश करने के बाद भी मुँह कुछ बासी-सा लग रहा था। सुबह की चाय के बाद उसने लिस्टरीन की बोतल उठा कर उससे कुल्ले किए। लिस्टरीन मुँह में काफी तेज लगी। आँखों में थोड़ा पानी भी उतर आया। शायद आज वह रोना भी चाह रहा है। लिली ने गले में बाँहें डाल दीं…‘रात को सोये नहीं तुम। आँखें लाल हो रही हैं।’

‘अरे नहीं बस अभी लिस्टरीन की है न…उसी का असर है।’ ऑलीवर बात को टाल गया। दोपहर को हल्का-सा भोजन किया। और प्रतीक्षा करने लगा कि टीना आ जाए। टीना आ भी गई…ठीक चार बजे। हाथ में मार्क्स एंड स्पेंसर का एक थैला भी था। बच्चों के लिए कुछ चॉकलेट ले आई थी। घर के लिए कुछ सामान जो कोरोना काल के लिए जरूरी था। साथ में स्कोन भी ले आई थी। लिली ने स्कोन ले लिए और अवन में हल्के गर्म करने को रख दिए। परकोलेटर में कॉफी  चढ़ा दी, ‘लिली हम कर लेंगे। अब तुम बच्चों को चॉकलेट्स दे लो।’

‘हाँ ऑली, क्या कह रहा था जॉर्ज?’

‘टीना…लूसी की मौत हो गई है। कोरोना की वजह से…उसका बरीयल है…सिर्फ पाँच लोग ही बरीयल में जा सकते हैं। जॉर्ज पूछ रहा था क्या हम दोनों आना चाहेंगे।’

‘हमारा वहाँ क्या काम है? वही करे सब कुछ। लूसी उसकी माँ है।’

‘वैल, बायोलॉजिकल माँ तो हमारी भी है।… वैसे जॉर्ज ने लूसी की लेटेस्ट फोटो भी व्हाट्सएप की है। पता नहीं मेरा फोन नंबर उसे कैसे मिला।’

‘दिखाओ तो फोटो।… नहीं रहने दो। क्या फायदा सारी उम्र नहीं देखा तो मरी की फोटो देख कर क्या होगा। लूसी हमारी जिंदगी का लाँगेस्ट रनिंग वायरस थी। अब बाकी की जिंदगी हम आराम से बिता पाएँगे। हमें सुकून होगा कि अब वह इस धरती पर कहीं भी बोझ बन कर नहीं खड़ी।’

‘देखो टीना हमारे जाने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। जिस तरह वो हम दोनों को छोड़ कर हमारे बाप के छोटे भाई के साथ भाग गई थी, उसे माफ नहीं किया जा सकता। हम दोनों की उम्र ही क्या थी उन दिनों।’

‘और भागने से पहले ही प्रेगनेंट भी हो गई थी।… ऐसी क्या जवानी चढ़ी थी उसे।… और हमारा बाप भी तो हमें अपने साथ नहीं ले गया।… तुमने कभी सोचा कि हमारी सोच कभी अपनी पीढ़ी के लोगों जैसी नहीं बन पायी। हमारे नाना-नानी ने हमें पाला तो अपनी पीढ़ी के हिसाब से हमारी परवरिश की। हम हमेशा अपने साथियों में बैकवर्ड कहलाते थे, क्योंकि हम उनकी तरह सोच नहीं पाते थे।’

‘कोरोना से मौत कितनी दर्दनाक हुई होगी। जब साँस नहीं आ रही होगी तो उसकी आँखों के आगे उसके कारनामों की पूरी फिल्म चल रही होगी।’

‘बाकी तो सब ठीक है। अब हमें करना क्या चाहिए? क्या चुप करके बैठ जाएँ। और लूसी को आसानी से मर लेने दें। कम-से-कम मरने के बाद उसकी आत्मा को तो महसूस होना चाहिए कि उसने हमारे साथ क्या किया।… देखो इसमें जॉर्ज का तो कोई दोष नहीं है। हम उसके साथ क्रूर नहीं हो सकते। उसे तो हम एक शोक संदेश भेज सकते हैं कि हमें उसकी माँ के मरने का अफसोस है।’

‘सही कह रहे हो। शोक संदेश भेज दो…हम दोनों की ओर से।’

‘शोक संदेश एक जबरदस्त आइडिया है। एक शोक संदेश हम लूसी के लिए भी छोड़ते हैं। किसी टैबलायड पेपर में छपवाते हैं…सन या फिर मिरर में…या फिर गैजेट में। उसमें उसे बता देते हैं कि हम उसके बारे में क्या सोचते हैं।’

‘सोच लो, रिश्तेदारों को तो बुरा नहीं लगेगा?’

‘हमारे कौन से रिश्तेदार हैं। नाना-नानी मर गए। माँ-बाप कभी थे नहीं। जॉर्ज से कोई रिश्ता नहीं।’

‘तो लिखोगे क्या?… वकील तो तुम ही हो। भाषा तो तुम्हें ही आती है। मैं तो बस लूसी की लाश को कसरत करना सिखा सकती हूँ।’

‘ठीक कहा तुमने।’ ऑलीवर ने आई पैड उठाया और टाइप करना शुरू कर दिया, शोक-संदेश ‘लूसी कूपर (रॉजर्स) का जन्म 03 जनवरी 1945 को साउथएंड में स्टीव रॉजर्स और सिंथिया रॉजर्स के घर हुआ था। उसने कौलिन कूपर के साथ 1965 में विवाह किया। उसका एक बेटा ऑलीवर और बेटी टीना थी। 1970 में वह अपने देवर एलन से प्रेग्नेंट हो गई और फिर उसके साथ भाग गई। उसने अपने बच्चों को बिना किसी सहारे के छोड़ दिया। उन्हें उनके नाना-नानी एंटनी और एंजेला ने पाला। लूसी की मृत्यु 4 अप्रैल, 2020 को कोरोना वायरस से हो गई। अब उसे भगवान के पास जाकर अपनी करतूतों का जवाब देना होगा। ऑलीवर और टीना को उसकी याद कभी नहीं आएगी। सच तो यह है कि उसकी मौत के बाद, यह धरती एक रहने लायक जगह बन जाएगी।’

ऑलीवर ने आई पैड टीना की तरफ बढ़ा दिया। टीना ने पढ़ा और एक लंबी साँस ली। भाई बहन ने एक दूसरे की तरफ देखा। बरसों की घुटन इन सात लाइनों के शोक संदेश से बाहर निकल आई थी। उनका जी चाहा कि कोरोना की परवाह न करें…और भाग कर अपने बचपने में वापस लौट जाएँ।


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Artist : Frederick McCubbin
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