उतारन

उतारन

घना कोहरा…हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था, ऊपर से कड़ाके की ठंढ…अम्मा ठंढ से ठिठुर रही थी। ठंढ उनकी हड्डियों में सेंध मार रही थी। अम्मा को लग रहा था कि आज की ठंढ में…वो जिंदा नहीं बचेंगी। तभी उसका इकलौता बेटा बुधना डोम बड़ी ही निराशाजनक मुद्रा में घर में प्रवेश करता है…‘अम्मा आज हम किसका मुँह देखकर उठे कि…एक भी मुर्दा…घाट पर नहीं आया। घर से सोचकर गया था कि आज जो भी मुर्दा…घाट पर आएगा…उसके तन पर कंबल तो जरूर होगा…जिससे तुम्हारी ठंढ दूर हो जाएगी। पर जरा भाग्य तो देखो अम्मा…मुर्दे का उतारन भी नसीब नहीं!’


Image: Old Woman
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Artist: Gustav Klimt
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