बाजार में आदिवासी

बाजार में आदिवासी

भरे बाजार में
वह तीर की तरह आया
और सारी चीजों पर
एक तेज हिकारत की नजर फेंकता हुआ
बिक्री और खरीद के बीच के
पतले सूराख से
गेहुँवन की तरह अदृश्य हो गया
एक सच्चा
खारा
ठनकता हुआ जिस्म
कहते हैं वह ठनक अबूझमाड़ में
रात-बिरात
अक्सर सुनाई पड़ती है
मिला कोई गायक
तो एक दिन पूछूँगा
संगीत की भाषा में
क्या कहते हैं इस ठनक को?


Image: A Street Market Scene, India
Image Source: WikiArt
Artist: Edwin Lord Weeks
Image in Public Domain