हीरा भाई

हीरा भाई

उन्हें कोई नहीं जानता
पर कुछ समय पहले तक
एक जीते जागते आदमी का नाम था-
‘हीरा भाई’
उस खित्ते में
जब कोई बैल होता था बीमार
‘हीरा भाई-हीरा भाई’
चिल्लाते थे लोग
‘आवत बानी’-
उतने ही जोर से कहते थे वे
और उनके आते न आते
सब ठीक हो जाता था।
पर न जाने क्यों
कभी-कभी हीरा भाई को
आ जाता था क्रोध
कि वे हो जाते थे गायब
और कई-कई दिनों तक
पशु और आदमी
सब परेशान!
पर न जाने कैसा
एक अद्भुत उर्वर क्रोध था वह
कि वे जब भी उतरते थे
क्रोध के ऊँचे दुल्र्लंघ्य पहाड़ से
उनके थैले में होती थी
कोई नई बूटी
कोई छाल किसी बिरवे की
कोई सितुहा
कोई घोंघा
यानी एक पूरा चरक संहिता होता था
उनका जर्जर थैला
जिनसे मवेशी भी ठीक हो जाते थे
और कभी-कभी आदमी भी
आदमी और पशु के बीच के
अंतिम लचकहवा पुल थे हीरा भाई!


Image: Snail on the bamboo leaf
Image Source: WikiArt
Artist: Ohara Koson
Image in Public Domain