आखिर याद ही क्यों आते हो
- 1 December, 2021
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/aakhir-yaad-hee-kyon-aate-ho/
- 1 December, 2021
आखिर याद ही क्यों आते हो
लब खामोश रहते हैं
और आँसू पलकों पर अटक जाते हैं
अहसासों के बवंडर भी
अब राख के सहरा में भटक जाते हैं
जाने वाले तुम…
आखिर याद ही क्यों आते हो!
उठता है तूफान समंदर में
दम तोड़ गई हैं मौजें भी किनारों पर
स्याह रात की हरेक तनहाई
जागती है अब शबनम के सितारों पर
जाने वाले तुम…
आखिर याद ही क्यों आते हो!
कैसे तुम्हें याद दिलाऊँ
कि तुम तोड़ गई अपना वादा
कैसे उतार दूँ तन से
तेरी यादों से बुनता हूँ रोज ये लबादा
जाने वाले तुम…
आखिर याद ही क्यों आते हो!
Image: Artist K. Korovin on the river bank
Image Source: WikiArt
Artist: Valentin Serov
Image in Public Domain