आँधियों के आचरण से डर गए

आँधियों के आचरण से डर गए

आँधियों के आचरण से डर गए
कुछ हरे पत्ते नवागत झर गए

जो कि अपने ही गिरे दायित्व से
हम थके हारे उसी के घर गए

इक सहज विश्वास का परिचय लिए
मौसमों के साथ सब हंसकर गए

शील के अवशेष ही बाकी बचे
दंभ के सारे घरौंदे भर गए

इस नए विज्ञापनों के दौर में
सभ्यता के शब्द सारे मर गए।


Original Image: Windy Afternoon in May
Image Source: WikiArt
Artist: Alfred Sisley
Image in Public Domain
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