अल्लाह के रक्षक

अल्लाह के रक्षक

अच्छा, अल्लाह के रक्षक हो!
नहीं, अहंकार की इंतहा हो!
‘शार्ली एब्दो’ को गोलियों से भून दिया
तो क्या वे सभी मर गए ? नहीं!
वे मरा नहीं करते, रक्तबीज से
लाखों में पुर्नजीवित हो जाते हैं!
‘शार्ली एब्दो’ कोई एक नाम नहीं
उनका कोई एक भगवान भी नहीं।
इसलिए वे हँस सकते हैं
हँसा सकते हैं
मजाक बना सकते हैं किसी का भी
भगवान और अल्लाह का भी।
ईसा मसीह हो या अल्लाह हो
उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
परंतु अल्लाह के ठेकेदारी
उसके ‘सम्मान’ के रक्षको
जो जिहादी, कट्टरपंथी, क्रूर
मनुष्यता के हत्यारे हैं और
धर्म के नाम पर आतंकवादी हैं
वो हिंसा और इस्लाम में
गहरा रिश्ता बना रहे हैं
नफरत प्रेम से ज्यादा ताकतवर होती है
पर जीत हमेशा प्रेम की होती है
मौत जिंदगी से ज्यादा क्रूर होती है
पर जीत है जिंदगी की ही।

यहूदी से बने ईसाई, ईसामसीह को
क्रास पर लटका दिया उनके पीछे
कुकुरमुत्तों से ईसाई बढ़ने लगे
फिर हुए वे दो फाँक धर्म के नाम पर
कैथोलिक पोप के विरोध में
प्रोटैस्रियन मारे गए
कैथोलिक इन हत्याओं में ‘हेवन’ में गए?
धर्म के नाम पर अधर्म और हिंसा
ईश्वर के घर के दरवाजे बंद कर
विराजमान धर्म के पहरेदार
अधर्मी, आतंकी, दुराग्रही और क्रूर
ईश्वर की रक्षा का जिम्मा क्या मेरा है ?
मैं नास्तिक नहीं तो धार्मिक भी नहीं।
ईश्वर जितने मेरे हैं, उन सब के भी हैं
क्या इन हिंसकों के भी हैं ?
वे उसे जाने या न जाने
वे उसे माने या न माने लेकिन
‘शार्ली एब्दो’ में लिखा जाता रहेगा
पढ़ा और पढ़ाया जाता रहेगा
हँसा और हँसाया जाता रहेगा
नहीं रोक सकता उसे कोई भी।

वे वही करेंगे जो करते आएँ हैं
अगले ही दिन ‘शार्ली एब्दो’ के
मुखपृष्ठ पर
लुज का कार्टून था, मोहम्मद रो रहे थे
‘मैं हूँ शार्ली एब्दो…’ नीचे लिखा था
‘सभी माफी के लायक हैं’
ईसा ने भी आखिरी शब्दों में
यही कहा था
‘ये अनजान हैं, इन्हें माफ कर दिया जाए’।
क्या सच में इन्हें माफी दी जानी चाहिए?
नहीं, हत्याओं के अपराध में विश्व मंच पर फैसला लिया जाना चाहिए।
ताकि खंडित हो ईश्वर के
रक्षकों का अहंकार
और न हो निर्दोषों की हत्याएँ।


Original Image: Jesus Christ crowned with thorns
Image Source: WikiArt
Artist: Maerten van Heemskerck
Image in Public Domain
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