घिरि घिरि आयेल मेहरा
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/bhojpuri-song-ghiri-ghiri-aayel-mehra-by-poet-ashant-nayi-dhara/
- 1 September, 1950
घिरि घिरि आयेल मेहरा
भोजपुरी
घिर घिर आयेल मेहरा
बरसले बरसात
कइसे कटाईब सजनी, एकसरुआ के रात।
लुक झुक झिपईत संझा
भरि रहली कलेस
पंछी उड़ल परदेशिया
नाहीं सुनले सनेस
कइसे सुनाईब सजनी दिलजरुआ के बात।
झिसि फिसि झटकत लहरा
तन सिहरे बयार
बटिया में चमके बिजुरिया
घन-अँचरा पसार
कइसे सजाइब सजनी कलपत अहिबात।
नयना के छिछली पोखरिया
भरि भरि उपिटाय
सेजिया पर सहमल निदिया
रहि रहि अलसाय
कइसे बिताईब सजनी अइसन बरसात।