भोर के बादल

भोर के बादल

घिर आईं अँखियन में बदरिया भोर की
बीता दुर्दिन रोकर
बातों में बात कटी
पिया-पिया रटते ही
बरखा की रात कटी
सुधियों की पुरवैया बहती कुछ जोर की।

बिरहा की डारी पर
कजरी की तान उठी
धरती के होठों पर
सोई मुसकान उठी
गूँज उठी बूँदन में बतियाँ चितचोर की।

पाहुन से बादरवा
भिनसारी आ गए
उमड़-घुमड़ गरज-गरज
कर मल्हार गा गए
थिरक-थिरक नाच उठीं पाँखड़ियाँ मोर की।
घिर आईं अँखियन में बादरिया भोर की।


Image: Dawn
Image Source: WikiArt
Artist: Joseph Farquharson
Image in Public Domain