बोलो क्या करूँ स्वीकार?

बोलो क्या करूँ स्वीकार?

मेरे पास हँसता फूल
मेरे पास उड़ती धूल
बोलो क्या करूँ स्वीकार?
मुझको सुख नहीं है साध्य
मुझको दुख नहीं आराध्य
मेरे है अधर पर हास
मेरे अश्रुमय इतिहास
जलते और बुझते दीप
मिट्टी में लुढ़कते सीप
बोलो क्या करूँ स्वीकार?

पाकर विरह की सौगात
भूला मैं मिलन की बात
आया कब किसी के द्वार
लेने में घृणा या प्यार
मन में है भरा अपनत्त्व
बाहर प्यार का पासत्त्व
बोलो क्या करूँ स्वीकार?

हिम के बूँद औ पाषाण
दोनों ही मुझे निष्प्राण
मुझको आग पानी एक
मुझको क्या बुरा क्या नेक
जिसका आदि उसका अंत
बोलो क्या करूँ स्वीकार?

सब पर है मनुज की छाप
चाहे पुण्य हो या पाप
सब पर है मुझे अधिकार
चाहे जीत हो या हार
मुझको जन्म पावन प्राप्त
मुझको मृत्यु काली रात
बोलो क्या करूँ स्वीकार?


Image: Fire by the water
Image Source: WikiArt
Artist: Paul Gauguin
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