चमन से दगा बागवाँ जब करेगा

चमन से दगा बागवाँ जब करेगा

चमन से दगा बागवाँ जब करेगा
तो फिर खैर से कैसे गुँचा खिलेगा

धुआँ उठ रहा हो नशेमन में जिसके
तो घुट-घुट के कैसे परिंदा जिएगा

ये शहरे बुताँ ऐसा जंगल है यारो
जहाँ आदमी जानवर ही बनेगा

यक़ीनन उसे उसकी मंजिल मिलेगी
अगर कोई पक्का इरादा करेगा

कहावत सुनाते हैं ‘अख्तर’ सुनो तुम
जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा।


Image: Interior of a Tavern
Image Source: WikiArt
Artist: Peder Severin Kroyer
Image in Public Domain

नसीम अख्तर द्वारा भी