चाँदनी

चाँदनी

भरी आँख है भरी चाँदनी।
नई-नई आँखों का पानी
जीवन की मदिरा में छँककर।

सहज दिगंतक दीठि घुल रही,
कोरी चितवन की माया में
लज्जा के प्रहरी पलकों का
आकर्षण रहता छाया में।
ड़ियारी अँखियों की प्रतिभा
बनी ज्योत्सना मूकवादिनी
भरी आँख-सी भरी चाँदनी।

लगे, एकटक नयनों की छवि,
मंथर मंद पुलक-पुतली का,
निखरी शोभा को सँवार सज
दे उभार उर कली-कली का
पावनता की सहस मूरतीं,
धुलमिल अरुक अथक नर्तन कर,
जगर मगर जोतित जीवन-सम

उमगा अश्रु कोष को ढँककर।
यौवन की सुषमा जागी है,
अमल धवल मधुमा कनकन भर।
झरी शारदा की वीणा से
चुई-रागिनी रस-निनादिनी।
भरी आँख-सी भरी चाँदनी,

भीतर की सुर-संगम धुन में
करुण, सिंगार हास सब सजते।
अँगुलि में अंतर खुल खनका
छंद ताल लय वैसई बजते।
बरस रहा अविराम धरा पर
सरल सुधाकर-रस घट-घट में,
सुख दुख किरनें भेद रचाती
सुरधनु-मन की हर करवट में
रसा भरी आँखों भर राखे
नवलवधू, सितपरी यामिनी।
भरी आँख-सी भरी चाँदनी।


Image: Moon Light
Image Source: WikiArt
Artist: Edvard Munch
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गौरीशंकर लहरी द्वारा भी