दर्द उधार दो

दर्द उधार दो

मुझे थोड़ा
दर्द उधार दो
आँखें जो आज सूख चुकीं
उनमें थोड़ी नमी चाहिए
आत्मा जो चैन से सो रही
उसे तड़प से तृप्त करो
मन का सागर
शांत पड़ा है
धुँधली स्मृतियों की प्रतिमूर्ति
उसमें चंचलता के अंश भरेगी
दर्द का यह ऋण
खुशियों से चुकाऊँगा
सुख की हर सुबह होगी
रंगों से भरी, जगमगाती हुई
क्या दर्द के लिए
इतना पर्याप्त नहीं?


Original Image: Summer
Image Source: WikiArt
Artist: Jules Breton
Image in Public Domain
This is a Modified version of the Original Artwork