ईश्वर बनाम मनुष्यता

ईश्वर बनाम मनुष्यता

मनुष्य में छुपी अमानवता ने ही
ईश्वर का ईजाद किया है शायद

बुद्ध महावीर जैसे अकुंठ मनुष्यता के धनी
महापुरुषों के अनन्य अनुपमेय कर्मों को
ईश्वरीय का नाम दे ईश्वर के नाम पर
महिमामंडित कर वस्तुतः
ईश-रचयिताओं ने इन्हें
ओछा अनअनुकरणीय बनाने की ही
की है सफल कोशिश और
सामान्यजन की समझ को
जाँचा-परखा है
और अपनी कसौटी पर पाया है
कि दुनिया अब भी उतना वैज्ञानिक नहीं
कि ईश्वर से लड़ सके, न डर कर रहे
कि उसे जड़ कर सके
कि उसके बिना ही रह सके

ईश्वर को जो लोग कब्जा रहे होते हैं
वे दरअसल उसकी सत्ता की इयत्ता को
बखूबी जान-समझ रहे होते हैं
ईश्वरी सत्ता की ओट में
जनसत्ता के घोटक की लगाम
मजबूती से थाम रहे होते हैं

जो ईश्वर
उनकी सत्ता और आरामगाह का
सुगम-सुलभ मार्ग है
वही
नाना अनुष्ठानों-विधनों में
उलझ-अंतर्वलित हो
औरों की खातिर
अलभ्य अलख अबूझ रह जाता है

मानवता की रक्षा में हमें
बुद्धों महावीरों और राम कृष्ण जैसे
इतर देव मान्य जनों को भी
उनकी मनुष्यता को लौटाकर और
ईश्वरीय दिव्य अलख
भाव-भूमि से उतारकर
फिर से मनुष्यता की यथार्थ जमीं पर
समग्रता में ले आना होगा।

कदाचित
ईश्वर के ध्वंस की बिना पर ही
अक्षत ऊर्जस्ति मनुष्यता की
निर्मिति संभव है।


Image: Hindu temple and Banyan tree
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Thomas Daniell
Image in Public Domain

मुसाफिर बैठा द्वारा भी