अरसे बाद
- 1 August, 2022
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https://nayidhara.in/kavya-dhara/hidni-poem-about-kitne-roop-hai-tumhare-by-nirmala-putul-2/
- 1 August, 2022
अरसे बाद
उग आए हैं।
मन उपवन में
ठिठकते थिरकते दूर कहीं
थोड़ी-सी उम्मीद…।
न आँगन में चहलकदमी करते
वीरान पड़ी मरुभूमि में हरियाली,
बगिया में कोयल की कूक
पक्षियों का चहकना
बच्चों की किलकारियाँ,
उग आए हैं…
बिन बियाही सपने
नदियों की निर्मलता,
दूर तराइयों तक पसरी
घने जंगल,
पहाड़ों का मौन व्रत
टूटने का एहसास,
गूँगे, बहरों में हलचल
बूढ़ों में नई उम्मीद
अरसे बाद…
मांदल की थाप पर थिरकना
बाँसुरी का सुरीलापन
वर्षों से गाय गोहाल के
दीवार पर टँगी
हसुआ का धार पिजाते
सूजी आँखों में लौ-सी चमकती
आस और विश्वास का दृढ़तापन।
अरसे बाद उग आए हैं
मन उपवन में
ठिठकते, थिरकते दूर कहीं
थोड़ी-सी उम्मीद…।
Image : Water Carriers
Image Source : WikiArt
Artist : Constant Troyon
Image in Public Domain