आँकड़े ही आँकड़े हैं

आँकड़े ही आँकड़े हैं

आँकड़े ही आँकड़े हैं आँकड़े फिर भी नहीं
झूठ में सच जोड़िए मिलते सिरे फिर भी नहीं

हर तरफ लाशें ही लाशें हैं मगर दिखतीं नहीं
और दिखती हैं तो छूतीं सैकड़े फिर भी नहीं

कम अजूबी बात है क्या यह हमारे दौर की
पाप-घट भरते हैं लालच के घड़े फिर भी नहीं

छद्म-छल से इंद्र आसन पर उछलकर जा चढ़े
किंतु भक्तों के लिए वे सिरफिरे फिर भी नहीं

जंग में हैं जंग की तहजीब से खाली मगर
बाँगते रणबाँकुरे जो जीतते फिर भी नहीं

एकजुट हैं सब अँधेरे रोशनी के बरखलिफ
रोशनी के साथ हम होते खड़े फिर भी नहीं।


Image : Peter I the Great
Image Source : WikiArt
Artist : Valentin Serov
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रामकुमार कृषक द्वारा भी