आप थे मुझमें निहाँ

आप थे मुझमें निहाँ

आप थे मुझमें निहाँ
जिंदगी थी कहकशाँ

मिट चुके जिसके निशाँ
था यहीं वो आशियाँ

क्यों जमाने को सुनूँ
आपको सुनकर मियाँ

बात उसकी भी सुनो
बंद है जिसकी जबाँ

रूह की पड़ताल में
जिस्म आया दरमियाँ।


Image : Double portrait of the artist and his wife seen through a mirror
Image Source : WikiArt
Artist : Vilhelm Hammershoi
Image in Public Domain

विज्ञानव्रत द्वारा भी