ऐसी कब आदत रखता हूँ

ऐसी कब आदत रखता हूँ

ऐसी कब आदत रखता हूँ
साफ नहीं नीयत रखता हूँ

बारिश होगी होने भी दो
अपने सिर पर छत रखता हूँ

तुम दौलत रखते हो रक्खो
अलमारी में खत रखता हूँ

नहीं बुझाऊँगा मैं दीपक
कमरे की इज्जत रखता हूँ

अब आँखों में आँसू रखकर
नदियों सी ताकत रखता हूँ

माँ की ममता और पिता हैं
घर में ही जन्नत रखता हूँ

बिक जाता हूँ चुपके चुपके
अपनी जब कीमत रखता हूँ

लोग मिलेंगे बहकायेंगे
कम से कम फुर्सत रखता हूँ।


Image: Quodlibet
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Cornelis Norbertus Gysbrechts1
Image in Public Domain

विकास द्वारा भी