आँखों में मैख़ाने थे

आँखों में मैख़ाने थे

आँखों में मैख़ाने थे
वो कुछ और ज़माने थे

‘ईलू’ जैसे शब्द कई
मैंने तुमसे जाने थे

उनके दिल में मेरे भी
कुछ महफ़ूज़ ठिकाने थे

उनसे जब पहचान हुई
मुझको सब पहचाने थे

नाप न पाए मुझको वो
शर्मिंदा पैमाने थे।


Image: roses-1843
Image Source : WikiArt
Artist : Ferdinand Georg Waldmüller
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