कोई शायर कभी भी

कोई शायर कभी भी

कोई शायर कभी भी बात बचकानी नहीं लिखता
कभी शोलों को अपने हाथ से पानी नहीं लिखता

जो सूली पर सजाई सेज़ पर सोने को आतुर हो
मैं क्या लिखता अगर मीरा को दीवानी नहीं लिखता

मैं उनके वास्ते शेरों की राहत ले के आया हूँ
खुदा जिनके मुकद्दर में भी आसानी नहीं लिखता

हमें पढ़नी नहीं आती इबारत खारे पानी की
समुंदर रेत पर कुछ भी तो बेमानी नहीं लिखता

वही लेखक उतारेगा असल तस्वीर दुनिया की
जो अपनी शक्ल को भी जानी पहचानी नहीं लिखता।


Image : Head of an Old Man
Image Source : WikiArt
Artist : Paul Cezanne
Image in Public Domain

माधव कौशिक द्वारा भी