अपने मित्रों के लेखे-जोखे से

अपने मित्रों के लेखे-जोखे से

अपने मित्रों के लेखे-जोखे से
हमको अनुभव हुए अनोखे -से

हमने बरता है इस जमाने को
तुमने देखा है बस झरोखे से

जिंदगी से न यूँ करो बर्ताव
जन्म जैसे हुआ हो धोखे से

हम तो टूटे हैं और मैले भी
कैसे तुम बच गए हो चोखे-से

इक महल खा गया है जागीरें
एक घर चल रहा है खोखे से

एक दीवार-सी है यह दुनिया
और उसमें हो तुम झरोखे-से।


Image : Tea Party at Mytishchi near Moscow
Image Source : WikiArt
Artist : Vasily Perov
Image in Public Domain