बैठकर मुस्का रही हो तुम

बैठकर मुस्का रही हो तुम

बैठकर मुस्का रही हो तुम
सच बहुत ही भा रही हो तुम

बाँसुरी विस्मित समर्पित-सी
गीत मेरा गा रही हो तुम

एक नूतन प्रेम का दर्शन
आँख से समझा रही हो तुम

एक अनबुझ आग पानी में
प्रिय लगाए जा रही हो तुम

चाहते हैं भूलना जितना
याद उतना आ रही हो तुम।


Image: A Lady Playing the Tanpura, ca. 1735
Image Source: Wikimedia Commons
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