बला की धूप में

बला की धूप में

बला की धूप में क्या-क्या किसान देखते हैं
कभी जमीन कभी आसमान देखते हैं

कहाँ गए वो सिपाही जो हमसे कहते थे
हम अपने गाँव में हिंदोस्तान देखते हैं

सड़क का दर्द हवाई जहाज क्या जाने
कहाँ जमीन को आला कमान देखते हैं

पहाड़ चढ़ने की हिम्म्त कोई नहीं करता
सहूलियत के लिए सब ढलान देखते हैं

गरीब लोगों के जज्बात कौन देखता है
सियासी लोग तो उनका रुझान देखते हैं

वो अपनी बात पे कायम नहीं थी पर अब हम
गली-गली में अना1 की दुकान देखते हैं।


1. अना–स्वाभिमान।


Image: Peasant Spreading Manure
Image Source: WikiArt
Artist : Jean Francois Millet
Image in Public Domain

अशोक मिजाज द्वारा भी