बतलाए देते हैं

बतलाए देते हैं

बतलाए देते हैं यों तो बतलाने की बात नहीं
खलिहानों पर बरस गए वो खेतों पर बरसात नहीं

नदियाँ रोकीं बाँध बनाए अपना घर-आँगन सींचा
औरों के घर डूबे फिर भी उनका कोई हाथ नहीं

धरती नापें तीन पगों में किले-कोठियों वाले लोग
जिनका राज-सुराज स्वप्न में भी उनके फुटपाथ नहीं

हुए धरम-पशु अपने-अपने धरम-गुरु तो चीज बड़ी
जिनके मंदिर-मस्जिद उनकी कोई जात-कुजात नहीं

कई बार देखा-परखा है हाथ मिला हमने उनको
वे तो उद्घाटनकर्ता हैं नींव रखें औकात नहीं।


Image : Portrait of Konstantin Korovin
Image Source : WikiArt
Artist : Valentin Serov
Image in Public Domain

रामकुमार कृषक द्वारा भी