बेड़ी औ जंजीर की भाषा

बेड़ी औ जंजीर की भाषा

बेड़ी औ जंजीर की भाषा
सन-सन् चलते तीर की भाषा

मुझे नहीं अच्छी लगती है
सत्ता की, शमशीर की भाषा

सीख रहा हूँ धीरे-धीरे
तुलसी और कबीर की भाषा

काश! मुझे भी मिल जाती वह
शहद-सी मीठी मीर की भाषा

मन होता है जाकर सीखूँ
संतों, पीर-फकीर की भाषा।


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Artist : Vasily Vereshchagin
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