भरोसा वे जब से, जताने लगे है

भरोसा वे जब से, जताने लगे है

भरोसा वे जब से, जताने लगे है
क्रियाशीलता फिर दिखाने लगे हैं

नहीं कर सके जो समस्या निवारण
दिखा स्वप्न फिर से रिझाने लगे हैं

सृजनशीलता जो न पनपा सके तो
नई ऊर्जा, खुद में, जगाने लगे हैं

लड़ेगा कहाँ तक, अँधेरे से दीपक
चरण काँप कर लड़खड़ाने लगे हैं

शरण में थके लोग, जब से हैं आए
हो हर्षित, ये गंगा, नहाने लगे हैं

गजब की खुशी चाँद है तेरे मुख पर
जिसे देख, पंछी भी, गाने लगे हैं।


Image : The Meal
Image Source : WikiArt
Artist : Vladimir Makovsky
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चाँद मुंगेरी द्वारा भी