कौन बचपन छीन कर हमको जवानी दे गया

कौन बचपन छीन कर हमको जवानी दे गया

कौन बचपन छीन कर हमको जवानी दे गया
भोलेपन, मस्ती के बदले बेईमानी दे गया

नाव कागज की, तितलियाँ, आम, अमरख, इमलियाँ
ले के कागज पर छपीं कुछ लंतरानी दे गया

कुछ नसीहत, वर्जना, और मन का जिद्दीपन
तल्खियाँ, बेचैनियाँ, आँखों में पानी दे गया

प्यार यूँ छलका कि आँचल में सिमट पाया नहीं
चूमकर अंबर जो धरती का परेशानी दे गया

कुछ जवाँ मौसम का जादू, कुछ तकाजा उम्र का
जिंदगानी भर की खातिर इक कहानी दे गया

हो भले ही भूल लेकिन हम भुला सकते नहीं
एक लम्हा जो ‘चमन’ को जिंदगानी दे गया।


Image : Orchestra Chairs
Image Source : WikiArt
Artist : Paul Peel
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