चुप क्यों है इतने आप जरा खुल के बोलिए

चुप क्यों है इतने आप जरा खुल के बोलिए

चुप क्यों है इतने आप जरा खुल के बोलिए
अब मत छुपाएँ पाप जरा खुल के बोलिए

इसको भी जी हुजूर है उसको भी जी हुजूर
हैं किसके साथ आप जरा खुल के बोलिए

इतना तो खुल के आप कभी बोलते न थे
किसका है ये प्रताप जरा खुल के बोलिए

इतनी मिठास लफ्जों में पहले तो थी नहीं
मुद्दे पे आएँ आप जरा खुल के बोलिए

जमहूरियत के नाम पे जो चल रहा जनाब
वरदान है या शाप जरा खुल के बोलिए।