चुरा के राग रंग खून से होली भर दी

चुरा के राग रंग खून से होली भर दी

चुरा के राग रंग खून से होली भर दी
हवा में किसने सियासत की ये बोली भर दी
चला था लेके चबेना मैं कल सफर के लिए
किसी ने छिप के मेरी जेब में गोली भर दी
अजीब वक्त है माँगा तो कर गया खाली
न चाहिए था कुछ तो यार ने झोली भर दी
लिखी थी मैंने कथा दर्द की ओ सौदागर
कि तुमने बीच-बीच में ये ठिठोली भर दी
विचित्र बात है सुबह ने तो दिए आँसू
परंतु शाम ने प्राणों में रंगोली भर दी।


Image : The Whittling Boy
Image Source : WikiArt
Artist : Winslow Homer
Image in Public Domain

रामदरश मिश्र द्वारा भी