धरती से अंबर तक ये हालात नहीं

धरती से अंबर तक ये हालात नहीं

धरती से अंबर तक ये हालात नहीं
मंजिल को बादल ढक ले औकात नहीं

मुर्दा बनकर जिंदा तो रह लेते हम
जिंदा दिखना सबके वश की बात नहीं

हूनर, हिम्मत, मिहनत, खून-पसीने की
मजदूरी लेते हैं हम, खैरात नहीं

गजलों की थाली में ताली से बढ़कर
शायर को भाती कोई सौगात नहीं

आँखों से ज्यादा क्या मेघ बरसते हैं
‘प्रोग्रामर’ ने देखी वो बरसात नहीं


Image : Charles River and Beacon Hill
Image Source : WikiArt
Artist : Childe Hassam
Image in Public Domain