दिखा जो भी इशारों में, कहा वो ही इशारों में

दिखा जो भी इशारों में, कहा वो ही इशारों में

दिखा जो भी इशारों में, कहा वो ही इशारों में
हमें डर है कि बँट जाएँ इशारे भी न नारों में

हमें कहनी ही पड़ती है इशारों में ही कहते हम
सच्चाई है कहाँ शामिल जुबाँ के कारोबारों में

चलो अब दूर चलते हैं वहाँ से देखते हैं फिर
नजर आता नहीं नजदीक से कुछ भी नजारों में

असर मौसम का है ये या है नजरों का कोई धोखा
ये कैसे फूल कागज के भी खिलते हैं बहारों में

सभी जब पूछने आते खुदा का राज हमसे भी
तभी लगता कि हम भी हैं खुदा के राजदारों में।


Image: Laziness
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Ramon Casas
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दिलीप दर्श द्वारा भी