देश को दुकान मत करो

देश को दुकान मत करो

देश को दुकान मत करो
बे-भरम विधान मत करो

खूब दिलेरी दिखा मगर
खँडहर मकान मत करो

भीलनी से राम तर गए
इस तरह गुमान मत करो

जो हुआ हँसी मजाक में
पर लहू लुहान मत करो

फूल को उदास देखकर
और भी थकान मत करो

रातभर में हो गया अमीर
सोंच कर विहान मत करो।


Image : Portrait of the Poet Hatifi
Image Source : WikiArt
Artist : Kamal ud Din Behzad
Image in Public Domain