दुआ हो या कोई फरियाद जो भी बेपनाहों की

दुआ हो या कोई फरियाद जो भी बेपनाहों की

दुआ हो या कोई फरियाद जो भी बेपनाहों की
गजल आवाज है दिल की, जुबाँ खामोश आहों की

छुपाकर बात कितना भी निगाहों को छुपा लें हम
गजल पहचान ही लेती जुबाँ छुपती निगाहों की

उड़ाई धूल है हमने जो धरती रौंदकर अब तक
गजल में भी तो आएगी वो थोड़ी धूल राहों की

नजर आती है गजलों में अमीरी या फकीरी भी
अमीरी हो फकीरों की, फकीरी बादशाहों की

सजा-ए-मौत लेकर भी सच्चाई पे रहे कायम
गजल अब आखिरी ख्वाहिश है ऐसे बेगुनाहों


Image: Plein Air
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Ramon Casas
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दिलीप दर्श द्वारा भी