महकी हुई बहार में फूलों

महकी हुई बहार में फूलों

महकी हुई बहार में फूलों की राह से
चूमा है मेरा नाम किसी ने निगाह से

वो जो है एक हर्फ तेरी याद से जुड़ा
निकला नहीं है आज भी मेरी पनाह से

सच फिर से मुजरिमों के ही पैरों पे जा गिरा
हासिल न कर सकी जो अदालत गवाह से

रिश्तों में ये दरार तो पहले भी कम न थी
कुछ और बढ़ गई है हमारे गुनाह से

करिए न इतना जुल्म सियासत के नाम पर
बचिए मेरे हुजूर गरीबों की आह से।


Image : Poslední Pomazání
Image Source : WikiArt
Artist : Jakub Schikaneder
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