गुरबत भरी हयात में दौलत भी तो मिले

गुरबत भरी हयात में दौलत भी तो मिले

गुरबत भरी हयात में दौलत भी तो मिले
घर के बड़े-बुजुर्गों की सोहबत भी तो मिले

हम आसमान को भी जमी पर उतार दें
घर बार से मगर कभी फुरसत भी तो मिले

ये चाँद तारे आपके कदमों में वार दें
दफ्तर से रोजगार से मोहलत भी तो मिले

धरती की कोख से यही सोना उगाएँगे
सरकार से किसानों को हिम्मत भी तो मिले

‘पंकज’ मेरा जहान तो नफरत मे बँट गया
जो सब दिलों को जोड़े वो उल्फत भी तो मिले।


Image: Red Vineyards at Arles
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Vincent van Gogh
Image in Public Domain

पंकज कर्ण द्वारा भी