हर ओर खट रहे हैं

हर ओर खट रहे हैं

हर ओर खट रहे हैं, यूपी-बिहार हैं हम
हर रोज पिट रहे हैं, सबके शिकार हैं हम

घर में जो मिलती रोजी, क्योंकर भटकते दर-दर
ललकार की है क्षमता, फिर भी गुहार हैं हम

हम सबके खूँ-पसीने से जगमगाती दुनिया
हम गाड़ियों के पहिए, कहते गँवार हैं हम

यूँ भूख ने है तोड़ा, घर-गाँव से शहर तक
हर हाँ में हाँ मिलाते, पिछले कहार हैं हम

कुछ साजिशों के चलते, बिखरा है ताना-बाना
वरना सृजन भरा है, ताकत अपार हैं हम

अवसर अगर मिले तो, कुछ भी नहीं असंभव
सीमा पे हम डटे हैं, दुश्मन पे वार हैं हम।


Image : Italian village workers making hats
Image Source : WikiArt
Artist : Peder Severin Kroyer
Image in Public Domain

वशिष्ठ अनूप द्वारा भी