हर सुकूँ दूर है

हर सुकूँ दूर है

हर सुकूँ  दूर  है  आपके  आपसे
जैसे  हो  ज़िंदगानी  ख़फा  आपसे

आज़माने की आदत ने यह क्या किया
बेवज़ह  हो  गया  फासला  आपसे

हारता ही रहा मेरा दिल क्या करे
जब मिला ही नहीं हौसला आपसे

अपनी औलाद सबको है प्यारा यहाँ
फिर ख़फ़ा कैसे होगा खुदा आपसे

तजरुबा जब नहीं जीस्त का आपको
कैसे हल होगा ये मसअला आपसे

जब हवा दे रही हो महक आपकी
क्यूँ न होता फजां खुशनुमा आपसे।


Image: Dark roses on light background
Image Source: WikiArt
Artist : Henri Fantin Latour
Image in Public Domain